चित्रगुप्त की पूजा दिवाली के दो दिन बाद होती हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार क्कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यमराज के सहायक भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने वालों को सुख-समृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसा कहा जाता हैं की भगवान चित्रगुप्त कायस्थ समाज के संस्थापक माने जाते हैं. इस दिन कमल , दवात और भी खाता की पूजा अर्चना ककी जाती हैं. चित्रगुप्त की पूजा करने से बुद्धि, विद्या और लेखन में महारत हासिल होती है. चित्रगुप्त पूजा के दिन किताब-कलम की पूजा का मुहूर्त और महत्व क्या है आइए जानते हैं....
क्या हैं चित्रगुप्त पूजा का मुहूर्त
बता दें की इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर 2024 को की जाएगी. इस दिन पूजा के लिए सुबह 07.57 से दोपहर 12.04 तक शुभ मुहूर्त बन रहा है. चित्रगुप्त भगवान देवताओं के लेखपाल माने जाते हैं.
क्यूँ होती हैं किताब - कलम की पूजा....
इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा के रूप में कलम-किताब की पूजा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि चित्रगुप्त भगवान व्यक्ति के कर्म का लेखा-जोखा लिखते हैं. ऐसे में कलम की पंचोपचार विधि से पूजा करके श्री चित्रगुप्त का स्मरण करें और उनसे हाथ जोड़कर उस कलम को आशीर्वाद रूप में प्राप्त करने की प्रार्थना करें. मान्यता है इस तरह पूजी गई कलम प्रभावी हो जाती है . धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, उस कलम से लिखा गया सिद्ध यानी सही हो जाता है, दैवीय सहायता प्राप्त होती है. वहीं दिवाली की रात जिस किताब की पूजा की थी, उसमें इस कलम से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें, श्रीगणेशाय नम: लिखकर सिद्धि बुद्धि सहित श्री गणेश को प्रणाम कीजिए और उसके बाद उस कलम का इस्तेमाल करें. दीपावली के दिन बही खाते बदले जाते हैं और आज उन नए बही खातों पर काम शुरू किया जाता है.
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