जानिए...नवाबों के शहर में होली के दिन क्या कुछ खास होता है.

Adarsh kanoujia.
वैसे तो पूरा देश होली के दिन रंगों में सराबोर हो जाता है और देश के कई हिस्सों में वहां कि परंपरा के अनुसार अलग-अलग तरीके से होली मनाई जाती है, जिसमें से लखनऊ भी एक ऐसा शहर है जहां होली का त्योहार पुरानी परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है.
आइऐ जानते है लखनऊ की खास होली के बारे में-
नवाब आसफुद्दौला 1775 से लेकर 1797 तक अवध के नवाब रहे. नवाब आसफुद्दौला को होली खेलने का बहुत शौक था. उन्होंने 22 साल शासन किया और हर साल होली पर 5 लाख रुपए खर्च करते थे और जश्न मनाते थे. अवध के छठे नवाब सआदत अली खान ने भी खूब होली खेली है. यही नहीं अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह भी खूब धूमधाम से होली पर रंग खेलते थे.
एक इतिहासकार के अनुसार नवाब आसफुद्दौला होली मनाते वक्त हिंदू विधि-विधान का पूरा ख्याल रखते थे. नवाब वाजिद अली शाह के दौर में होली के वक्त नवाब वाजिद अली शाह कृष्ण बन जाते थे और बेगमों को गोपियां बना लेते थे और उनके साथ रंग खेलते थे. नवाब वाजिद अली शाह पूरी तरह से सभी धर्म को मानने वाले थे, इसीलिए वह होली, दिवाली समेत ईद को भी धूमधाम से मनाते थे.
नवाबों के समय से होती है होली की सवारी-
पुराने लखनऊ के चौक क्षेत्र में करीब दो किलोमीटर तक हाथी, घोड़ा, ऊंट आदि की सवारी निकलती है। दरअसल यह परम्परा उस जमाने से है, जब लखनऊ के नवाब होली के दिन जनता के साथ होली खेलने के लिए हाथी पर बैठ कर निकलते थे। आज भी हाथी इस टोली की शान होता है और साथ में इस टोली में मौजूद ढोल नगाड़े पूरे इलाके को मस्ती में सराबोर कर देते हैं। मस्तानों की यह टोली होली के दिन सुबह चौपटियां से निकलती है और चौक चौराहे पर स्थित पार्क तक आती है।
इसी पार्क के पास राजा की ठंडाई, समेत मिठाईयों की कई दुकानें हैं, जहां लस्सी, ठंडाई, गुझिया, आदि मिलती हैं। इस पूरे इलाके में लाउड स्पीकर, डीजे एक दिन पहले से लग जाते हैं।
लखनऊ में सराफा व्यापारियों की होली भी है खास-
लखनऊ में होली तो सभी जगह एक ही दिन मनाई जाती है, लेकिन खास बात यह है कि चौक के सर्राफा व्यापारियों की होली एक दिन पहले होती है। जिसमें वे सभी एक -दूसरे पर रंग डालते है और गले मिलते हैं। गुझियां और अन्य पकवानों के का मजा लेते हैं। यह परम्परा सौ साल से ज्यादा समय से चली आ रही है। बुर्जुगों की डाली गई इस परम्परा को लखनऊ के युवा इसको बहुत ही अच्छे तरीके से आगे ले जा रहे हैं। ऐसा सिर्फ इसी शहर में और इसी क्षेत्र में ही होता है।
रंगों से रंगीन लखनऊ की गलियां-
आम तौर पर देश के हर शहर में लोग होली के मौके पर बाइक या कार लेकर निकल जाते हैं, लखनऊ में भी कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन यहां की गलियों की रौनक बड़ी सड़कों से थोड़ी अलग होती है। सकरी गलियां, जिनके दोनों ओर तीन से चार मंजिला मकान, आपकी होली ट्रिप को मजेदार तब बना देती हैं, जब बाइक या बैदल जाते समय आपके ऊपर रंग आकर गिरता है।
होली की शाम गोमतीनगर के नाम-
रंग खेलने में अगर आप थक गए हैं, तो बात अलग है, लेकिन अगर घूमने की थोड़ी सी इच्छा और है, तो शाम को जनेश्वर मिश्र पार्क या अम्बेडकर पार्क जरूर जाइये। यहां पर आपको एक अलग ही नज़ारा दिखाई देगा। सड़के, चौराहों से लेकर पार्क के अंदर तक फब्बारों के बीच आपको एक अलग ही अनुभूति होगी। अगर गोमतीनगर नहीं जाना चाहते हैं, तो आप शाम हुसैनाबाद से बेहतरीन कोई जगह नहीं। अब नए कपड़े पहने हैं, तो फोटो व सेल्फी तो बनती ही है, और हुसैनाबाद में इमामबाड़ा रोड व रूमी गेट से अच्छी कोई जगह नहीं, जो आपकी इस होली को यादगार बना सके।
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