होलिका दहन के दिन जरूर करें ये काम

हिंदु धर्म के कैलेंडर के अनुसार साल का आखिरी त्यौहार होली , जिसे भारत में बड़े ही मौज के साथ मनाया जाता है, लोगों के बीच ये त्यौहार काफी पसंद किया जाता है , होली रंगो का त्यौहार लेकिन इसके पीछे भी एक धार्मिक कहानी है .इसलिए इस त्यौहार की शुरूआत होलिका दहन के साथ शुरू होती है , जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है , पहले के जमाने में ये त्यौहार 5 दिन मनाया जाता था, मगर अब ऐसा नहीं होता है और केवल होलिका दहन और परेवा के दिन ही यह त्यौहार सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन होलिका दहन एक धार्मिक कहानी के साथ जुड़ा है , इसलिए इस दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए .
होलिका दहन होली से पहले मनाया जाता है , इस दिन के पीछे की विशेष कहानी है , दरसल इस में असुरों के राजा हरिण्यकशिप ने अपने बेटे प्रह्लाद को जलती चिता पर जिंदा अपनी बहन होलिका के साथ बैठा दिया था. क्योंकि होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे तब तक भस्म नहीं कर सकती, जब तक उसके सिर पर विशेष दुपट्टा रहेगा, जो उसे वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ था. लेकिन जब वह भगवान नारायण के परम भक्त प्रह्लाद को गोदी में बैठा कर अग्नि पर बैठी तो दुपट्टा उड़ गया और प्रह्लाद पर जा गिरा. इस तरह होलिका भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गए. होलिका असुर राज हरिण्यकशिप की बहन थी , और तबसे ये त्यौहार होली के तौर पर मनाया जाता है ,
होलिका दहन के वक्त करें ये काम
होलिका दहन के दिन कई घरों में महिलाएं बेटों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए व्रत रखती हैं और होलिका दहन के बाद ही उनका व्रत खुलता है. ऐसे में जो महिलाएं व्रत रखती हैं उन्हें होलिका और प्रह्लाद की पूजा करनी चाहिए और भगवान विष्णु के नरसिंह स्वरूप का ध्यान करना चाहिए. साथ ही इस दिन कुंआरी कन्याओं को दहन नही देखना चाहिए , होलिका दहन के दिन बेटों को उबटन लगाना चाहिए उबटन को उतारते वक्त उसकी उतरन को एक कागज की पुड़िया में बांध लें और होलिका दहन के वक्त अग्नि में स्वाहा कर दें, वैसे केवल बेटों के ही नहीं बल्कि आप बेटियों के भी उबटन लगा सकती हैं. ऐसा करने के पीछे महत्व यह है कि उबटन की उतरन के साथ ही शरीर के सारे रोग और बुरी बलाएं होलिका के साथ भस्म हो जाती हैं. इसके साथ ही अपनी संतान की लंबाई को सूत के धागे से 7 बार नापें और उसे भी होलिका दहन के वक्त अग्नि में डाल दें.
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