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होली के अनोखे रंग ...विभिन्न राज्यों के संग

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होली के अनोखे रंग ...विभिन्न राज्यों के संग 

होली सिर्फ रंगों और मिठाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है। यह पर्व न केवल खुशियों का प्रतीक है, बल्कि इसमें हर क्षेत्र की सांस्कृतिक झलक भी देखने को मिलती है। कुछ स्थानों पर इसे लठमार होली के रूप में मनाया जाता है, तो कहीं होला मोहल्ला के रूप में। आइए जानते हैं भारत में होली के कुछ अनोखे और रोचक रूप।

1. लठमार होली – उत्तर प्रदेश (बरसाना और नंदगांव)

बरसाना और नंदगांव में होली का उत्सव बेहद अनोखा होता है। इसे लठमार होली के नाम से जाना जाता है, जो श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से जुड़ी हुई है। इस होली में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, जबकि पुरुष खुद को ढाल से बचाते हैं। पहले बरसाना की महिलाएं नंदगांव के पुरुषों को पीटती हैं, और अगले दिन नंदगांव की महिलाएं बरसाना के पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं।

2. फूलों की होली – वृंदावन (उत्तर प्रदेश)

मथुरा-वृंदावन की होली अपने दिव्य रूप के लिए प्रसिद्ध है। यहां रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है। बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए फूल बरसाए जाते हैं और गुलाल उड़ाया जाता है। यह होली आध्यात्मिकता और भक्ति से ओतप्रोत होती है।

3. बसंत उत्सव – शांति निकेतन (पश्चिम बंगाल)

रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरू किया गया यह उत्सव पश्चिम बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे बसंत उत्सव भी कहा जाता है, जिसमें छात्र-छात्राएं पारंपरिक पीले वस्त्र पहनकर नृत्य और संगीत के जरिए बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। यहां होली के दौरान प्राकृतिक रंगों और गुलाल का उपयोग किया जाता है।

4. धुलंडी होली – हरियाणा

हरियाणा में होली को धुलंडी के रूप में मनाया जाता है। इसे भाभी-देवर की होली भी कहा जाता है, जहां शादीशुदा महिलाएं अपने देवरों को छेड़ती हैं और हंसी-मजाक के बीच रंग खेला जाता है। यह एक अनोखी परंपरा है, जिसमें परिवार के सदस्य आपसी प्रेम और मजाक के साथ त्योहार का आनंद लेते हैं।

5. होला मोहल्ला – पंजाब

सिख समुदाय में होली को होला मोहल्ला के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव आनंदपुर साहिब में विशेष रूप से धूमधाम से आयोजित किया जाता है। इसमें घुड़सवारी, तलवारबाजी और अन्य मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया जाता है। यह परंपरा गुरु गोविंद सिंह द्वारा सिख योद्धाओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

6. गेर और डोलची होली – राजस्थान

राजस्थान के जयपुर, उदयपुर और बीकानेर में होली का जश्न पारंपरिक अंदाज में मनाया जाता है। जयपुर और उदयपुर में लोग पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य करते हैं। बीकानेर की डोलची होली में लोग एक-दूसरे पर पानी से भरी डोलची डालते हैं, लेकिन इसे शांतिपूर्ण तरीके से खेला जाता है।

7. रंगपंचमी – महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में होली के पांच दिन बाद रंगपंचमी मनाई जाती है। होली का मुख्य पर्व होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों और गोबर के उपलों से अग्नि प्रज्वलित की जाती है। रंगपंचमी के दिन लोग रंगों में सराबोर होकर ढोल-ताशों के साथ नाचते-गाते हैं। मुंबई, पुणे और नासिक में यह उत्सव विशेष रूप से लोकप्रिय है।

8. अट्टी होली और डांडिया होली – गुजरात

गुजरात में अट्टी होली के दौरान लोग अपने घरों की सफाई कर शुभ प्रतीकों को रंगों से बनाते हैं। यहां गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन भी किया जाता है। कच्छ क्षेत्र में रबारी समुदाय अपनी अनूठी पारंपरिक होली मनाता है, जो संस्कृति से भरपूर होती है।

9. बैगवाल होली – उत्तराखंड

उत्तराखंड के चंपावत जिले में देवीधुरा मंदिर में बैगवाल होली खेली जाती है, जिसे पत्थर मार होली भी कहा जाता है। इस अनोखी परंपरा में दो दल बनाकर हल्के पत्थरों से होली खेली जाती है। यह आयोजन देवी मां के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए किया जाता है।

भारत के विभिन्न हिस्सों में होली का यह अनोखा रूप दर्शाता है कि यह पर्व केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि हर क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।

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