इन खुबसूरत शायरियों के जरिये अपने साथी को लगाये गले

प्रेम एक ऐसा ख़ूबसूरत एहसास है जिसको बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जाते. इसलिए कभी इसे आँखों से बयां किया जाता है तो कभी स्पर्श के माध्यम से.प्रेम को बयां करने के लिए प्यारी-सी झप्पी यानी की प्यार की झप्पी सबसे अधिक प्रभावी मानी जाती है .और यही वजह है कि प्रेम के महीने में एक दिन प्यार से गले लगाने के लिए मनाया जाता है.इस खास दिन प्रेमी जोड़े एक दूसरे को प्यार से गले लगाते हैं .किन्तु बहुत से प्रेमी जोड़े ऐसे भी होते हैं जो किन्ही कारणवश एक दूसरे से दूर होते हैं .ऐसे में इन खूबसूरत शायरियों के माध्यम से अपने प्रेमी या प्रेमिका को प्यार से गले लगा सकते हैं . इन शायरियों के माध्यम से मिलो की दूरी को समाप्त कर सकते हैं .



आओ गले मिल कर ये देखें
अब हम में कितनी दूरी है 
                                  -शारिक़ कैफ़ी


गले लगाए मुझे मेरा राज़दाँ हो जाए
किसी तरह ये शजर मुझ पे मेहरबाँ हो जाए
सितारे झाड़ के बालों से अब ये कहता हूँ
कोई ज़मीन पे रह कर न आसमाँ हो जाए
इसी लिए तो उदासी से गुफ़्तुगू नहीं की
कहीं वो बात न बातों के दरमियाँ हो जाए
ये ज़ख़्म ऐसे नहीं हैं कि जो दिखाएँ तुम्हें
ये रंज ऐसा नहीं है कि जो बयाँ हो जाए
बुला रहा है कोई आसमाँ की खिड़की से
सो आज ख़ाक-नशीं तेरा इम्तिहाँ हो जाए .
                                                       – आबिद मलिक

3. 
मैं लड़खड़ाया तो मुझ को गले लगाने लगे
गुनाहगार भी मेरी हँसी उड़ाने लगे
मिरी क़दीम रिवायत को आज़माने लगे
मुख़ालिफ़ीन भी अब कश्तियाँ जलाने लगे
दिल-ए-हरीस से तामीर की हवस न गई
वो सतह-ए-आब पे काग़ज़ का घर बनाने लगे
किसी की राह-ए-मुनव्वर में मोजज़ा ये हुआ
हमारे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा भी जगमगाने लगे
न जाने किस का हमें इंतिज़ार रहने लगा
कि ताक़-ए-दिल पे दिया रोज़ हम जलाने लगे
हुए कुछ इतने मोहज़्ज़ब कि साँस घुटने लगी
जुनूँ-पसंद गले तक बटन लगाने लगे
जिन्हों ने काँटों पे चलना हमें सिखाया था
हमारी राह में वो फूल अब बिछाने लगे
शुरूअ हो गया आँखों में जश्न-ए-ख़ुश-ख़्वाबी
हुई जो रात तो हर सम्त शामियाने लगे
                                                - सुल्तान अख़्तर 

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