हम दिल दे चुके सनम: ऐश्वर्या राय नहीं, ये सुपरहिट एक्ट्रेस थीं पहली पसंद | अनसुनी बातें, शूटिंग लोकेशन और कहानी की गहराई

हम दिल दे चुके सनम भारतीय सिनेमा की उन क्लासिक फिल्मों में गिनी जाती है, जिसने अपने शानदार निर्देशन, गहरी भावनाओं और लाजवाब संगीत से दर्शकों के दिलों पर हमेशा के लिए जगह बना ली। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने हाल ही में अपने 26 साल पूरे किए हैं। सलमान खान, ऐश्वर्या राय और अजय देवगन के त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित इस फिल्म से जुड़े कई रोचक तथ्य आज भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
माधुरी दीक्षित थीं पहली पसंद
फिल्म के लिए शुरूआती दौर में संजय लीला भंसाली की पहली पसंद माधुरी दीक्षित थीं। लेकिन डेट्स की समस्या के कारण माधुरी इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाईं। इसके बाद भंसाली ने ऐश्वर्या राय को चुना। उस वक्त ऐश्वर्या मिस वर्ल्ड जीत चुकी थीं और तमिल सिनेमा में कामयाबी हासिल कर चुकी थीं, लेकिन हिंदी फिल्मों में उनकी पहचान अभी पक्की नहीं हुई थी।
संजय लीला भंसाली का बड़ा रिस्क
फिल्म समीक्षकों ने उस समय ऐश्वर्या की मुस्कान को 'प्लास्टिक स्माइल' तक करार दिया था। बावजूद इसके, संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या पर भरोसा जताया और ये जोखिम उनकी सबसे बड़ी सफलता बन गई। फिल्म जबरदस्त हिट रही और ऐश्वर्या को भी हिंदी सिनेमा में एक सशक्त पहचान मिल गई।
अजय देवगन का खास किरदार
फिल्म में अजय देवगन ने वनराज का किरदार निभाया, जो प्रेम और समर्पण का दूसरा रूप दिखाता है। जब वनराज को अपनी पत्नी नंदिनी और समीर के प्रेम का पता चलता है, तब भी वह उसे उसके प्रेमी से मिलाने विदेश तक जाता है। अजय देवगन के इस संवेदनशील और त्यागमयी किरदार को दर्शकों ने खूब सराहा।
उपन्यासों से प्रेरित थी कहानी
फिल्म की कहानी मैत्रेयी देवी के उपन्यास ना हन्यते और रोमानियाई लेखक मिरसिया के उपन्यास से प्रेरित मानी जाती है। जहां उपन्यास का परिवेश बंगाल में है, वहीं फिल्म में इसे गुजरात के सांस्कृतिक माहौल में ढाला गया है। संजय लीला भंसाली ने इस कथानक को भारतीय मूल्यों और भावनाओं के साथ खूबसूरती से परदे पर प्रस्तुत किया।
विदेशी लोकेशन पर शूटिंग
फिल्म के दूसरे भाग की शूटिंग इटली में की गई थी। यह विदेशी लोकेशन फिल्म की कहानी में एक नया आकर्षण लेकर आया। इटली की खूबसूरत वादियों में नंदिनी और समीर की मुलाकात दर्शकों को बेहद पसंद आई।
संगीत बना फिल्म की आत्मा
फिल्म के गाने पहले ही सुपरहिट हो चुके थे।
‘निंबूड़ा निंबूड़ा’ (कविता कृष्णमूर्ति, करसन सागर)
‘ढोली तारो ढोल बाजे’ (विनोद राठौर, कविता कृष्णमूर्ति)
आज भी शादियों और उत्सवों में बजते हैं। भंसाली की खासियत लोकसंगीत को फिल्मों में पिरोना रही है। आगे चलकर उन्होंने पद्मावत में 'घूमर' और बाजीराव मस्तानी में 'पिंगा' से भी यही जादू दोहराया।
भारतीय संस्कृति का सम्मान
फिल्म के अंत में जब नंदिनी समीर के पास जाने के बजाय अपने पति वनराज के पास लौट जाती है, तो ये भारतीय मूल्यों और विवाह संबंधी जिम्मेदारियों का गहरा संदेश देता है। नंदिनी कहती है:
“प्यार करना तुमने सिखाया, लेकिन प्यार निभाना मैंने अपने पति वनराज से सीखा।”
इसी संवेदनशीलता और भारतीय परंपराओं के प्रति सम्मान ने फिल्म को कालजयी बना दिया।
भारतीय सिनेमा के लिए सीख
आज के दौर में हिंदी सिनेमा की असफलता का एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि कई फिल्में भारतीय मूल्यों और भावनाओं से दूर होती जा रही हैं। हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्में दर्शाती हैं कि जब कथानक भारतीय संवेदनाओं को छूता है, तो दर्शकों का दिल भी जीतता है।
26 साल बाद भी हम दिल दे चुके सनम अपने गानों, संवादों और भावनात्मक कहानी के कारण दर्शकों के दिलों में जिंदा है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के उस दौर का हिस्सा है जब प्रेम कहानियों में केवल रोमांस ही नहीं, बल्कि त्याग, समर्पण और संस्कार भी बड़ी खूबसूरती से पिरोए जाते थे।
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