अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन समाज, परिवार और राष्ट्र के निर्माण में पुरुषों के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इस दिवस का उद्देश्य पुरुषों के स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण, लैंगिक समानता और सकारात्मक पुरुष आदर्शों को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जैसे महिलाओं की समस्याएँ महत्वपूर्ण हैं, वैसे ही पुरुषों की चुनौतियों और भावनाओं को समझना और उन्हें समर्थन देना भी उतना ही जरूरी है। पुरुषो को समर्पित इशिता तिवारी द्वारा रचित एक कविता यहाँ पढ़िए -
तकलीफों को अपनी कैद कर किसी कोने में, खुशियों को आजाद करते हो,
अपनी जरूरतों को भूल, सबका ख्याल रखते हो,
सादगी, सरलता सिर्फ स्त्रियों में नही, पुरुषों में भी होती है, ये बात मैने तुमसे जानी है,
परिवार अधूरे है तुम्हारे बिना, ये बात सारे जहां ने मानी है
संघर्ष को जीवन बनाके, दिन रात एक करते हो,
तकलीफों को अपनी कैद कर किसी कोने में, खुशियों को आजाद करते हो।
मां बाप की जिम्मेदारी से लेकर, बच्चों की पढ़ाई तक
बहन के मान से लेकर, पत्नी के आत्मसम्मान तक
भाई की ज़िद से लेकर, समाज के ढोंग तक
हर उलझन को बिना उलझे सहते हो,
एक तुम ही तो हो, जो खुद को छोड़, सबसे प्यार करते हो।
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