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बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी: विवाद या साजिश?


बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के प्रमुख  चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने तगड़ा हंगामा मचा दिया है। 25 नवंबर को उन्हें ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया और आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। जैसे ही यह खबर आई, भारत सरकार ने भी बांग्लादेश के इस कदम की कड़ी आलोचना की। अब सवाल ये है कि चिन्मय कृष्ण दास कौन हैं और इस विवाद के पीछे की असल कहानी क्या है?चलिए वो भी बता देते हैं .. 

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चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में इस्कॉन के प्रमुख पुजारी हैं। उनका असली नाम चंदन कुमार धर है. वे बांग्लादेश के सबसे बड़े धार्मिक नेताओं में से एक हैं और दुनिया भर में उनके लाखों अनुयायी हैं। इस्कॉन का ये मंदिर बांग्लादेश के "पुंडारीक धाम" के नाम से मशहूर है, जो राधारानी के पिता वृषभानु महाराज के जन्म स्थान के रूप में पवित्र माना जाता है. वे हमेशा समाज में हो रहे गलत चीजों के खिलाफ बोलते रहे हैं, खासकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए।

Chinmoy Krishna Das Arrest Case

लेकिन बवाल तब शुरू हुआ जब 22 नवंबर को चिटगांव में आयोजित उनकी रैली के दौरान भगवा झंडा लहराया गया.. आरोप है कि चिन्मय दास ने इस झंडे को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर रखा, जिससे देश का अपमान हुआ.. इसके बाद उन पर देशद्रोह के 18 मुकदमे दर्ज किए गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया...बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में सजा काफी सख्त है, और यहां आजीवन कारावास तक हो सकता है...

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मगर खास बात ये है कि चिन्मय कृष्ण दास ने इन आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि जिस झंडे की बात की जा रही है, वह रैली से दो किलोमीटर दूर लहराया गया था, और वे उस वक्त वहां मौजूद नहीं थे..अब उनके समर्थन में कई लोग भारत में भी सामने आए हैं ..यहां तक की अंरविद कजेरीवाल ने भी एक्स पर पोस्ट कर उनकी रिहाई की बात की ... 

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वहीं चलिए ये भी बता देते हैं कि इस्कॉन आखिर है क्या ...जो आए दिन सुर्खियों में रहता है .  ..इस्कॉन, यानी अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत संघ, पूरी दुनिया में श्री कृष्ण के संदेश को फैलाने का काम करता है.. यह संगठन स्वामी श्रीलप्रभुपाद ने 1966 में शुरू किया था, और आज इसके अनुयायी करोड़ो में हैं.. बांग्लादेश में भी इस्कॉन के कई मंदिर हैं, जहां लोग धार्मिक आयोजन करते हैं और गरीबों की मदद भी करते हैं.लेकिन बांग्लादेश में इस्कॉन और उसके नेताओं के खिलाफ हमेशा से राजनीति चलती रही है. कभी यह आरोप लगता है कि इस्कॉन बांग्लादेश की राजनीति में दखल देता है, तो कभी यह कहा जाता है कि यह संगठन हिंदुओं को असुरक्षित दिखा रहा है.. यही कारण है कि इस्कॉन और उनके समर्थकों पर दबाव बनाया जा रहा है।

फिलहाल चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी केवल एक धार्मिक विवाद नहीं, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा बन चुकी है, जिसमें बांग्लादेश के हिंदू समुदाय और उनके अधिकारों की रक्षा की चुनौती सामने है।

 

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