मोहन को सीएम बनाने के पीछे छुपा है पीएम मोदी का स्वार्थ ? क्या शिवराज से था पीएम को खतरा

भाजपा ने शिवराज सिंह की जगह मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर सब को हैरान कर दिया है। वहीं मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने एक तरफ लोग खुश है तो, दूसरी काफी लोग नाराज भी नज़र आ रहे है.और उनके मन में केंद्र सरकार के प्रति गुस्से की ज्वाला फूट रही है .क्योंकि भारी संख्या में ऐसे लोग थे जो शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बन कर राजनीति में चौका मारते हुए देखना चाहते थे लेकिन भाजपा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर इन सभी लोगों को काफी निरास और आक्रोशित कर दिया है .वहीं शिवराज सिंह को पसंद करने वाले लोगों का कहना है कि पीएम ने शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश की कमान इसलिए नहीं दी क्योंकि उन्हें डर है कि तीन बार से लागातार मुख्यमंत्री के पद पर रहने वाले शिवराज सिंह चौहान भविष्य में प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश कर सकते थे ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को अपने रास्ते का कांटा बनता देख पीएम नरेंद्र मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को रास्ते से हटा देना जरूरी समझा.और यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बना कर अपने रास्ते से हटा दिया .ये बात किस हद तक सही या बिलकुल भी सही नहीं है इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते क्योंकि ये सारी बाते आम जनता द्वारा कही गई है .लेकिन सच यह भी है कि धुआं यूँही नहीं उठता आग कहीं न कहीं जरूर लगी होती है .
आखिर क्यों छीनी गई शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी ?
अगर बात की जाए शिवराज सिंह चौहान की तो निसंदेह शिवराज सिंह चौहान का दो बार का कार्यकाल बहुत ही अच्छा रहा है लेकिन आखिरी बार का कार्यकाल अच्छा नहीं रहा .शिवराज सिंह चौहान पर बहुत सारे आरोप लगे है और भ्रष्टाचार के मामले में पूरी तरह से घिरते हुए नजर आये है .और यही वजह थी कि मध्यप्रदेश में चुनाव बिना मुख्यमंत्री के चेहरें के लड़ा था .क्योंकि भाजपा को डर था कि यदि शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी तो हार सकती है .इसलिए बिना मुख्यमंत्री के चेहरें के चुनाव लड़ना जरूरी समझा .और कहीं ना कहीं यही वजह है कि शिवराज सिह चौहान की जगह मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाना ठीक समझा .
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