अब पैदा करने से पहले बच्चे डिजाइन करवा रहे लोग, पहले से फिक्स कर लेते हैं रंग-रूप, खर्च करने होंगे इतने पैसे!

एक समय था जब संतान को ईश्वर का वरदान माना जाता था। माता-पिता के पास जो बच्चा आता, वे उसे उसी रूप में स्वीकार कर लेते थे। लेकिन 2025 की तकनीक ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। अब संपन्न परिवार बच्चे के जन्म से पहले ही उसकी शक्ल-सूरत, बुद्धिमत्ता, आंखों का रंग और यहां तक कि उसकी लंबाई तक तय करवाने लगे हैं।

यह कोई कल्पना नहीं “डिज़ाइनर बेबी” का युग शुरू हो चुका है। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के उन्नत रूप में अब भ्रूणों को स्कैन करके “सबसे बेहतर” चुन लिया जाता है। सिलिकॉन वैली की कई कंपनियां, जैसे न्यूक्लियस जीनोमिक्स, इस नए बाज़ार में प्रवेश कर रही हैं। हालांकि यह वैज्ञानिक प्रगति है, लेकिन साथ ही यह गहरी नैतिक बहस भी छेड़ रही है।तो आखिर यह तकनीक है क्या और कैसे काम करती है? आइए इसे एक नई तरह से समझते हैं।

आईवीएफ का एडवांस फॉर्म

पूरी प्रक्रिया की शुरुआत IVF से होती है, जहां लैब में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाकर कई भ्रूण तैयार किए जाते हैं। इसके बाद आता है PGT प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग। पहले इस्तेमाल होने वाला PGT-A सिर्फ क्रोमोसोमल गड़बड़ियों को पकड़ता था, जिससे गर्भपात का खतरा कम होता है। लेकिन अब तकनीक एक कदम आगे बढ़ चुकी है।

नया PGT-P (पॉलीजेनिक टेस्टिंग) सैकड़ों जीनों का विश्लेषण करके जटिल गुणों की भविष्यवाणी करता है—जैसे दिल की बीमारियों का जोखिम, संभावित IQ, कद, आंख और बालों का रंग, यहां तक कि मानसिक अवस्थाएं जैसे एंग्जायटी या ADHD तक।

ऑर्किड बायोसाइंस और न्यूक्लियस जैसी कंपनियां इसे “एम्ब्रियो प्रायोरिटाइजेशन” का नाम देती हैं। न्यूक्लियस जीनोमिक्स—जिसे 2020 में 20 वर्षीय कियन सादेघी ने शुरू किया था—इस ट्रेंड की प्रमुख कंपनियों में से एक है। उनकी सेवा “न्यूक्लियस एम्ब्रियो” में माता-पिता अपने लगभग 20 भ्रूणों का पूरा DNA प्रोफाइल स्कैन करवा सकते हैं। इसके बाद ऐप में हर भ्रूण का डेटा दिखता है, और इच्छुक माता-पिता अपनी पसंद के अनुसार तुलना करके चयन कर सकते हैं चाहे वे बेहतर बुद्धिमत्ता का अनुमान चाहते हों, कम कैंसर जोखिम, या किसी विशेष रंग की आंखें।इन सबका प्रीमियम IVF प्लस पैकेज लगभग 30,000 डॉलर (करीब 27 लाख रुपये) में उपलब्ध बताया जाता है।

ऑनलाइन शॉपिंग जैसा है अनुभव

इस तकनीक में डॉनर एग/स्पर्म, सरोगेट और ऑप्टिमाइज्ड एम्ब्रियो सब शामिल है. सादेघी कहते हैं कि हर पैरेंट अपने बच्चे को बेहतर देना चाहता है. इस कारण ये सर्विस स्टार्ट की गई है. लेकिन कई लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं. उनके मुताबिक, ये बस पैसे का खेल है जहां अमीर “सुपर बेबी” बनवाएंगे और गरीब पीछे रह जाएंगे. अमेरिका में ये चलन बूम पर है. IVF साइकिल्स में 50% से ज्यादा PGT यूज हो रहा है.

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