IVF में थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन है वरदान, IVF विशेषज्ञ, डॉ. वैशाली जैन से खास बातचीत

बच्चों की किलकारियाँ हर घर की रौनक होती हैं, लेकिन जब निसंतान दंपत्ति इन खुशियों से महरूम रह जाते हैं, तो विज्ञान और तकनीक उनके लिए एक नई आशा बनकर सामने आते हैं। थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन ऐसी ही एक चिकित्सा पद्धति है, जो उन दंपत्तियों को संतान सुख देने का माध्यम बनती है, जो जैविक रूप से खुद संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं।हमने इस बेहद संवेदनशील, लेकिन ज़रूरी विषय पर विस्तार से चर्चा की देश की जानी-मानी IVF विशेषज्ञ, डॉ. वैशाली जैन, के साथ , जो दीवा IVF, लखनऊ की निदेशक हैं.. डॉ. जैन ने बहुत से दंपत्तियों की गोद भरने में अहम भूमिका निभाई है और उनके अनुभव से हमने जाना कि थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन वास्तव में क्या है, कैसे काम करता है, और इससे जुड़ी कानूनी व नैतिक पेचिदगियाँ क्या हैं..
निसंतान दंपत्तियों के लिए बच्चों की खुशियाँ लाने वाली आधुनिक तकनीकों में थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब कोई महिला या पुरुष अपनी जनन कोशिकाओं (अंडे या शुक्राणु) का उपयोग करके संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होता है, तब थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन की मदद ली जाती है।
IVF में थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन क्या है?
डॉक्टर वैशाली जैन के मुताबिक , थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन में बच्चे के जन्म के लिए दंपत्ति के अलावा तीसरे पक्ष की सहायता ली जाती है। इसमें एग डोनेशन, स्पर्म डोनेशन, भ्रूण डोनेशन और सरोगेसी शामिल हैं। इन विधियों के जरिए वे जो अपने स्वयं के अंडे या शुक्राणु का उपयोग नहीं कर सकते, वे भी संतान सुख प्राप्त कर पाते हैं।
एग डोनेशन की आवश्यकता कब पड़ती है?
डॉक्टर वैशाली जैन ने बताया कि एग डोनेशन तब आवश्यक होती है जब महिला अपने स्वयं के अंडे उत्पादन में असमर्थ हो। यह स्थिति आमतौर पर उम्र बढ़ने के कारण उत्पन्न होती है, क्योंकि जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, उसके अंडों की गुणवत्ता और संख्या कम हो जाती है। इसके अलावा, किसी बीमारी, दुर्घटना या कैंसर जैसी वजह से अंडाशय हटवा लेने पर भी एग डोनेशन की आवश्यकता होती है।
स्पर्म डोनेशन की स्थिति
डॉक्टर वैशाली जैन ने इस मामले पर कहा कि , स्पर्म डोनेशन की जरूरत तब पड़ती है जब पुरुष के शुक्राणु पर्याप्त मात्रा या गुणवत्ता में उपलब्ध नहीं होते। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे जन्मजात समस्याएँ, संक्रमण, सर्जरी या आनुवंशिक रोग। इसके अलावा, यदि पति के पास कोई आनुवंशिक बीमारी हो जो बच्चे को हो सकती है, तो डोनर स्पर्म का उपयोग किया जाता है।
भ्रूण डोनेशन क्या है?
डॉक्टर वैशाली जैन की मुताबिक , भ्रूण डोनेशन में तीसरे पक्ष से एग और स्पर्म लेकर IVF प्रक्रिया के तहत भ्रूण बनाकर उसे रिसीपिएंट महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तब किया जाता है जब दोनों दंपत्ति के अंडे और शुक्राणु का उपयोग संभव नहीं होता।
सरोगेसी का महत्व और प्रकार
डॉक्टर वैशाली जैन ने इस महत्व को काफी विस्तार से बताया , और कहा कि सरोगेसी वह प्रक्रिया है जिसमें एक अन्य महिला गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है, जबकि वह बच्चे की जेनेटिक माता नहीं होती। सरोगेसी की आवश्यकता तब होती है जब महिला की गर्भाशय की स्थिति ऐसी हो कि वह गर्भ धारण न कर सके, जैसे गर्भाशय का न होना, कमजोर होना या अन्य चिकित्सीय कारण।
सरोगेसी दो प्रकार की होती है:
ट्रेडिशनल सरोगेसी, जिसमें सरोगेट मां का अंडा बच्चे के लिए होते हैं।
जेस्टेशनल सरोगेसी, जिसमें भ्रूण दंपत्ति का होता है, लेकिन गर्भधारण सरोगेट मां करती है।
कानूनी प्रावधान
डॉक्टर वैशाली जैन की मुताबिक भारत में ART (Assisted ReproductiveTechnology) अधिनियम, 2022 के तहत थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन के कई नियम निर्धारित किए गए हैं। डोनर की आयु सीमा निर्धारित है (आमतौर पर 23 -35 वर्ष तक), साथ ही डोनर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है। सरोगेसी के लिए दंपत्ति की वैवाहिक स्थिति, राष्ट्रीयता, और चिकित्सा स्थिति जैसे नियमों का पालन आवश्यक होता है। इसके अलावा डोनर की सुरक्षा के लिए मेडिकल इंश्योरेंस अनिवार्य है, ताकि डोनर को किसी प्रकार की चिकित्सा समस्या होने पर सहायता मिल सके।
थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन के फायदे और चुनौतियाँ
चुनौतियों को लेकर डॉक्टर वैशाली जैन ने बताया कि थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन निसंतान दंपत्तियों के लिए नई आशा लेकर आता है। यह परिवार बनाने की उनकी तमन्ना पूरी करता है। हालांकि, इस प्रक्रिया के साथ कुछ नैतिक और कानूनी जटिलताएँ भी जुड़ी होती हैं। सरोगेट मां के साथ भावनात्मक जुड़ाव, डोनर की गोपनीयता, कानूनी विवाद और वित्तीय जिम्मेदारियों जैसे पहलू चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
प्रक्रिया का समय और लागत
थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन की प्रक्रिया में डोनर खोजने, मेडिकल जांच करने और IVF जैसी तकनीकों को अपनाने में आमतौर पर दो महीने तक का समय लग सकता है। इसकी लागत सामान्य IVF की तुलना में अधिक हो सकती है, क्योंकि इसमें डोनर की जांच, चिकित्सा खर्च और इंश्योरेंस की व्यवस्था भी शामिल होती है।
थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक क्रांतिकारी उपलब्धि है, जिसने अनेक दंपत्तियों के जीवन में खुशियाँ लौटाई हैं। हालांकि इसके साथ जुड़े कानूनी, नैतिक और सामाजिक पहलुओं को समझना और सही मार्गदर्शन लेना बेहद आवश्यक है। उचित सलाह और सही प्रक्रिया के साथ, थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन परिवार बनाने का एक विश्वसनीय और सुरक्षित विकल्प साबित हो सकता है अगर आप भी डॉ वैशाली जैन के माध्यम से अपने जीवन में लाना चाहते हैं खुशहाली तो जरूर संपर्क करें -
DIVA IVF N FERTILITY CLINIC
(उम्मीद से खुशियों तक)
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