क्यों भगवान जगन्नाथ15 दिनों के लिए एकांतवास में रहते हैं , वजह जाने..

इस साल की 7 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरु होगी. ये यात्रा हर साल की हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से  शुरू होती है. जो की समाप्त 16 जुलाई को होगी. यात्रा शुरु होने से पहले कुछ प्रक्रिया भी की जाती हैं जो ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होती हैं. इस दिन भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम को स्नान कराया जाता हैं. स्नान के बाद तीनो देवता बीमार पड़ जाते हैं और ठीक होने के लिए उनको शाही चिकित्सक के नियंत्रण में एकांतवास में रखा जाता है. इस दौरान उन्हें काढ़ा आदि दिया जाता हैं और उनका उपचार किया जाता हैं ऐसी मान्यता हैं की दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाए से वे 15 दिनों में ठीक हो जाते हैं जिसके बाद रथ यात्रा शुरु की जाती हैं.  तो चलिए एकांतवास के बारे में विस्तार से जानते हैं...

तीनों देव एकांतवास में हैं...
इस समय भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा एकांतवास में हैं. स्नान करने और बीमार पड़ने के बाद जब भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा 15 दिनों के लिए एकांतवास में रहते हैं, तो भक्त उनके दर्शन नहीं कर पाते हैं.15 दिनों तक भगवान का आम लोगों की तरह ही इलाज किया जाता है. भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और काढ़े का भोग लगाया जाता है। 15 दिनों तक भगवान को शीतल लेप भी लगाया जाता है.


नेत्र उत्सव
भगवान को रात को सोने से पहले मीठा दूध पिलाया जाता है. इस दौरान न तो मंदिर की घंटी बजती है, न ही भक्त दर्शन कर सकते हैं. इस दौरान भगवान को अन्न का भोग नहीं लगाया जाता है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं. इस उपलक्ष्य में नेत्रोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है. इस नेत्र उत्सव में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को नई आंखें प्रदान की जाती हैं. इसके बाद ही सभी भक्त पहली बार भगवान के दर्शन करते हैं. नेत्र उत्सव के बाद जगन्नाथ रथ यात्रा का उत्सव शुरू होता है. तीनों देव को विशाल और भव्य रथों में विराजित किया जाता है. इस रथ को मंदिर से बाहर निकाला जाता है और तीनों देवताओं को नगर भ्रमण कराया जाता है.

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