16 संस्कारों में से एक है 'जनेऊ संस्कार', जाने क्यों है जरूरी

NEHA MISHRA

हिंदू धर्म में कई परंपराओं का पालन किया जाता है. जिसका अपना एक खास महत्तव होता है. इन्हीं संस्कारों में से एक है 'जनेऊ संस्कार'. जिसे हम 'उपनयन संस्कार' भी कहते है. बता दें कि जनेऊ संस्कार विवाह से पहले किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है. यह प्राचीन सनातन हिंदू धर्म में वर्णित 10वां संस्कार है. इस समारोह में, लड़के को विभिन्न अनुष्ठानों के साथ एक पवित्र सफेद धागा पहनाया जाता है. ब्राह्मण और क्षत्रिय जैसी विभिन्न जातियाँ इस संस्कार को करती हैं.

क्या है 'उपनयन संस्कार' का मतलब

जनेऊ को पहनते और बदलते समय कौन सा बोला जाता है मंत्र, जानें इससे जुड़े सभी  जरूरी नियम | Know wearing and replacement method of Janeu yagyopavit Mantra  in Hindi | TV9 Bharatvarsh

'उपनयन' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. 'उप' का अर्थ है निकट और 'नयन' का अर्थ है दृष्टि. जिसका शाब्दिक अर्थ है खुद को अंधकार से दूर रखना और प्रकाश की ओर बढ़ना. इस प्रकार, यह सबसे प्रसिद्ध और पवित्र अनुष्ठानों में से एक है. आमतौर पर, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य भी शादी से पहले दूल्हे के लिए जनेऊ संस्कार करते हैं. इस समारोह को यज्ञोपवीत के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में शूद्रों को छोड़कर हर कोई जनेऊ पहन सकता है.

जनेऊ संस्कार का महत्तव

Significance of Janeu sanskar – Grehlakshmi

हिंदू धर्म में हर परंपरा या रीति-रिवाज का अपना एक अलग महत्व है. जनेऊ संस्कार के साथ ही एक बालक अपने बचपन से किशोरावस्था में प्रवेश करता है. इस उन्नति को चिह्नित करने के लिए पुजारी बालक के बाएं कंधे के ऊपर और दाएं हाथ के नीचे एक पवित्र धागा बांधता है. जिसे जनेऊ कहते है. यह जनेऊ तीन धागों की धाराओं से मिलकर बना होता है. बता दें कि ये धागें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ ही ये देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ये सत्व, राह और तम का प्रतिनिधित्व करते हैं.

जनेऊ का निर्माण

जनेऊ संस्कार 2024: जानें 2024 में जनेऊ संस्कार के शुभ मुहूर्त और तिथियाँ  MyPandit के साथ|आपको बता दें कि जनेऊ में 5 गांठें लगाई जाती हैं, जो ब्रह्मा, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं. यह पंचकर्म, ज्ञानदायिनी और यज्ञ का भी प्रतीक है, जिनकी संख्या पाँच है. इसके अलावा जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है. जनेऊ पहनने वाले व्यक्ति को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना होता है. 32 विद्याएँ 4 वेद, 4 उपवेद, 6 दर्शन, 6 आगम, 3 सूत्र और 9 अरण्यक हैं.

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