क्या मोदी की कुवैत यात्रा से भारत को फायदा हुआ ? भारत-कुवैत के सम्बन्ध की मजबूती क्यों है जरूरी?

जशपुर :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21-22 दिसंबर, 2024 को कुवैत यात्रा ने भारत और कुवैत के बीच संबंधों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। यह यात्रा पिछले 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा थी, इससे पहले इंदिरा गांधी ने 1981 में कुवैत का दौरा किया था। इस यात्रा ने भारत-कुवैत संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया, जो पश्चिम एशिया में भारत की बढ़ती भूमिका और क्षेत्र में उसकी सक्रिय कूटनीति को दर्शाता है। इस लेख में यात्रा की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है और इसे भारत की व्यापक पश्चिम एशिया नीति के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।

रणनीतिक साझेदारी का गठन: एक ऐतिहासिक कदम

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी भारत-कुवैत संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” के स्तर तक ले जाना। यह कदम व्यापार, निवेश, रक्षा, ऊर्जा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक और संरचित सहयोग की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से, भारत और कुवैत के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों की जड़ें सदियों पुरानी हैं। रणनीतिक साझेदारी का गठन इस ऐतिहासिक संबंध को औपचारिक रूप देता है और वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए समकालीन उपाय प्रदान करता है।

इस साझेदारी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए दोनों देशों ने संयुक्त सहयोग आयोग (Joint Commission on Cooperation - JCC) की स्थापना की। यह आयोग दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में कार्य करेगा और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक दिशा-निर्देश प्रदान करेगा। JCC का गठन इस बात का प्रतीक है कि भारत और कुवैत दीर्घकालिक और सतत सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।

व्यापार और निवेश: नए अवसरों की खोज

भारत और कुवैत के बीच व्यापार लंबे समय से दोनों देशों के संबंधों का प्रमुख आधार रहा है। पीएम मोदी की यात्रा के दौरान, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में विविधता और विकास की संभावनाओं पर जोर दिया गया। कुवैत ने भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए विशेष रुचि दिखाई।
तकनीक, स्वास्थ्य, पर्यटन, खाद्य सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों को आपसी सहयोग के लिए प्राथमिकता दी गई। कुवैत का सॉवरेन वेल्थ फंड, जो दुनिया में सबसे बड़ा है, भारत के बुनियादी ढांचे और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है। साथ ही, व्यवसायों के बीच बातचीत तेज करने और निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर भी सहमति हुई।

ऊर्जा सहयोग का विस्तार

भारत और कुवैत के बीच ऊर्जा संबंध लंबे समय से महत्वपूर्ण रहे हैं। कुवैत भारत के लिए कच्चे तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इस यात्रा ने ऊर्जा सहयोग को पारंपरिक खरीदार-विक्रेता संबंध से आगे बढ़ाकर व्यापक ऊर्जा साझेदारी का रूप दिया।
भारत और कुवैत ने अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों, नवीकरणीय ऊर्जा और भारत के स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व प्रोग्राम में सहयोग पर सहमति जताई। कुवैत का अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल होना टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। दोनों देशों ने सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए सहयोग करने का वादा किया। यह भारत की नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक नेतृत्व के अनुरूप है।

रक्षा और सुरक्षा: सहयोग का नया आयाम

यात्रा के दौरान, रक्षा सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन (MoU) को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना गया। इस समझौते में संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, तटीय रक्षा, समुद्री सुरक्षा और रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास और उत्पादन पर सहयोग की रूपरेखा तैयार की गई।
सुरक्षा के क्षेत्र में, दोनों देशों ने सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की, जिसमें सीमा-पार आतंकवाद भी शामिल है। उन्होंने आतंकवाद वित्तपोषण नेटवर्क को बाधित करने, आतंकवादी ढांचे को खत्म करने और साइबर सुरक्षा व अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारतीय प्रवासी और सांस्कृतिक संबंध

कुवैत में 10 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो दोनों देशों के संबंधों को मजबूती प्रदान करते हैं। पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उनके योगदान की सराहना की।
2025-2029 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (CEP) और 2025-2028 के लिए खेलों पर कार्यकारी कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए। शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी सहयोग को गहरा करने पर जोर दिया गया। दोनों देशों ने ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने और शैक्षिक बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने की दिशा में प्रयास तेज करने का संकल्प लिया।

भारत की पश्चिम एशिया रणनीति में कुवैत की भूमिका

कुवैत यात्रा को भारत की व्यापक पश्चिम एशिया नीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। यह क्षेत्र भारत के लिए ऊर्जा जरूरतों, व्यापार मार्गों और बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी के कारण रणनीतिक महत्व रखता है।
भारत ने खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए सक्रिय कूटनीति अपनाई है। कुवैत, वर्तमान में GCC का अध्यक्ष होने के नाते, भारत-GCC सहयोग को गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। दोनों पक्षों ने भारत-GCC मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को शीघ्र पूरा करने पर जोर दिया। यह न केवल व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा बल्कि क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक शासन सुधार

भारत और कुवैत ने एक प्रभावी बहुपक्षीय प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में सुधार भी शामिल है। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधि और समकालीन वास्तविकताओं का प्रतिबिंबित करने वाला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। यह भारत के लंबे समय से चले आ रहे एक समान और न्यायसंगत वैश्विक शासन प्रणाली के समर्थन के अनुरूप है।

निष्कर्ष: एक मजबूत साझेदारी की ओर

प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा भारत की पश्चिम एशिया में बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का प्रमाण है। इस यात्रा ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया बल्कि भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया।
आर्थिक सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर केंद्रित यह यात्रा दोनों देशों के लिए लाभकारी साझेदारी का आधार तैयार करती है। भारत की पश्चिम एशिया नीति में कुवैत के साथ संबंधों का उन्नयन एक मॉडल के रूप में कार्य करेगा, जिसे अन्य खाड़ी देशों के साथ दोहराया जा सकता है।
तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में, भारत की सक्रिय कूटनीति और व्यापक दृष्टिकोण मजबूत और स्थायी साझेदारियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह यात्रा भारत की विदेश नीति में पश्चिम एशिया को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित करती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक प्रगति में योगदान देगी।

रिपोर्टर : दीपक वर्मा

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