जशपुर PTM 2025 का सफल आयोजन: दासडुमरटोली शाला में संवाद, सहयोग और संकल्प की मिसाल

जशपुर : 07 अगस्त 2025 को दासडुमरटोली शाला में आयोजित पालक-शिक्षक बैठक (PTM 2025) एक ऐतिहासिक और प्रेरक आयोजन के रूप में सामने आई। यह केवल एक बैठक नहीं थी, बल्कि बच्चों के भविष्य को लेकर माता-पिता और शिक्षकों की साझी ज़िम्मेदारी का संकल्प था।
परिवर्तन की नींव – नेतृत्व की सोच, शिक्षक की पहल।
जब सोच मिलती है, तब संकल्प सशक्त होता है।
श्रीमती फिरदौस खानाम ने विद्यालय का नेतृत्व केवल प्रशासन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि एक मूल्य आधारित शिक्षण संस्कृति का निर्माण किया। उनके मार्गदर्शन में विद्यालय का हर शिक्षक केवल शिक्षक नहीं रहा – वह एक रचनात्मक बदलावकर्ता बन गया।
शिक्षक मुकेश कुमार ने इस दिशा में जो सकारात्मक पहल की, वह विद्यालय के शिक्षण वातावरण में ऊर्जा, सृजन और प्रेरणा का संचार कर गई।
बैठक के प्रमुख उद्देश्य – जो साकार हुए
सकारात्मक संवाद।
पालकों और शिक्षकों के बीच सार्थक संवाद हुआ जिसमें बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार, पोषण, अनुशासन और दिनचर्या पर खुलकर चर्चा हुई।
सामूहिक सहभागिता
शत-प्रतिशत पालकों ने उपस्थिति दर्ज की, जिसमें कई पालक दूर-दराज़ से विशेष रूप से उपस्थित हुए। यह दर्शाता है कि शिक्षा के प्रति समाज की संवेदनशीलता बढ़ी है।
समाधान की दिशा
पालकों ने व्यक्तिगत समस्याएं साझा कीं।
जाति/आय प्रमाण पत्र संबंधी समस्याएं।
मिड-डे मील की गुणवत्ता
बच्चों की स्वास्थ्य जाँच इन सभी पर शिक्षकों द्वारा ठोस सुझाव और समाधान प्रस्तुत किए गए।
चर्चा के मुख्य बिंदु – प्रभावी ढंग से सम्पन्न।
घर का वातावरण और पढ़ाई।
शिक्षकों ने बच्चों को एक शांत और प्रेरणादायक वातावरण देने की अपील की। कई पालकों ने आश्वासन दिया कि वे अब पढ़ाई का विशेष समय तय करेंगे।
डिजिटल शिक्षा की भूमिका
दीक्षा ऐप, ई-पाठशाला, डिजिटल लाइब्रेरी की उपयोगिता पर विशेष चर्चा हुई। पालकों को यह समझ आया कि मोबाइल केवल मनोरंजन का साधन नहीं, शिक्षा का ज़रिया भी बन सकता है।
स्वास्थ्य एवं पोषण
कक्षा अनुसार पोषण तालिका और स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी दी गई। बच्चों के आयरन, कैल्शियम, हाइट-वज़न पर फोकस किया गया।
परीक्षा परिणाम और प्रगति।
छात्रों के अर्धवार्षिक मूल्यांकन की रिपोर्ट दिखाई गई और हर बच्चे की व्यक्तिगत प्रगति पर चर्चा की गई। कई पालकों ने शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
पॉकसो अधिनियम और सुरक्षा:
पालकों को बच्चों की सुरक्षा, कानून की जानकारी, और स्कूल द्वारा लिए जा रहे कदमों की जानकारी दी गई।
खेल-कूद और गतिविधियाँ:
पालकों को बताया गया कि शिक्षा के साथ-साथ बालकों को खेलों, कला और नाट्य जैसी गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
पालकों की प्रतिक्रियाएं।
"मैं पहली बार इतनी गहराई से अपनी बच्ची की पढ़ाई और व्यवहार को समझ पाया। अब मैं उसे हर शाम खुद पढ़ाऊँगा।" — श्री विक्रम भगत, पालक एवं पंच।
"आज समझ में आया कि स्कूल केवल किताबों का स्थान नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है।" — श्रीमती चंपा भगत, पालक।
प्रेरणादायक पहल
इस बैठक में कुछ पालकों ने आगे आकर विद्यालय में जो भी कमी है उसे उपलब्ध कराने की घोषणा की। यह पालक-शिक्षक सहभागिता की सशक्त मिसाल बनी।
प्रधान पाठक श्रीमती फिरदौस खानम – नेतृत्व का सजीव रूप।
श्रीमती फिरदौस खानम ने न केवल शिक्षकों को प्रोत्साहित किया, बल्कि हर अभिभावक को नेतृत्व की भावना दी। उनका मानना है।
“एक प्रधान पाठक केवल दिशा दिखा सकता है, लेकिन विद्यालय तब सफल होता है जब हर पालक एवं विद्यार्थी उस दिशा में चलने को तैयार हो।”
उन्होंने हर पहल को समर्थन दिया, बाधाओं को दूर किया और शिक्षकों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का आत्मबल दिया।
परिणाम – सकारात्मक संकेत होंगे
पहल का नाम प्रभाव पालकों की उपस्थिति 92% से अधिक बच्चों की सीखने में रुचि ।
उल्लेखनीय रूप से बढ़ी
सुझावों की संख्या 13 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए, जहां डिजिटल टूल्स के उपयोग65% पालकों ने उपयोग शुरू करने का संकल्प लिया।
निष्कर्ष – एक नई शुरुआत
PTM 2025 केवल संवाद का मंच नहीं था, यह शिक्षा के प्रति समाज की सजगता और पालक-शिक्षक साझेदारी की एक नई मिसाल है।
इस बैठक ने यह सिद्ध कर दिया कि जब पालक और शिक्षक साथ आते हैं, तब बच्चे हर दिशा में आगे बढ़ते हैं।
उम्मीद है आप इस प्रयास को जारी रखेंगे, और घर पर बच्चों को पढ़ने, पूछने, सोचने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
पालक-शिक्षक संवाद की यह यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती – यह तो आने वाले उज्ज्वल भविष्य की शुरुवात है।
रिपोर्टर : जशपुर
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