हनुमान जी की महिमा अपरंपार है : रामशरण दास/रामचरितमानस सम्मेलन में संतों ने किया हनुमान जी की महिमा का वर्णन

 झांसी :  गुरसराय में श्री बजरंग मानस प्रचारिणी समिति के तत्वाधान में नगर के पटकना मोहल्ले में दास हनुमान जी मंदिर प्रांगण में चल रहे श्री रामचरित मानस सम्मेलन के 44वें अधिवेशन में तृतीय दिवस की कथा के दौरान अयोध्या से आए संत रामशरण दास जी महाराज ने हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के सेवक, कार्य साधक भगवान हनुमान की महिमा अपरंपार है। उनके स्मरण मात्र से ही भूत-प्रेत, पिशाच तथा अनिष्टकारी शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं। महावीर, ज्ञान, वैराग्य, बुद्घि के प्रदाता की साधना के अनेक रूप प्रचलित हैं। अपने भक्त की प्रार्थना सुनकर महावीर बजरंगबली तत्काल सभी का कष्ट हर लेते हैं। लोक देवता के रूप में भगवान हनुमान की भी आराधना की जाती है। साक्षात परमेश्वर रूद्र हैं। आगे उन्होंने बताया कि हनुमान अष्टमी के साथ ही मंगलवार व शनिवार को उनकी आराधना फलदायी है। जय हनुमान ज्ञान गुण सागर का पाठ भक्तों को सुख शांति के साथ अपने कष्टों से मुक्ति भी दिलाता है। अयोध्या धाम से पधारी आचार्या डा मांडवी अनुचरी ने भी अपनी कथा के दौरान संकट मोचन हनुमान की महिमा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। अपनी कथा के दौरान उन्होंने बताया कि हनुमान जी प्रभु श्री राम के सबसे बड़े भक्त थे उन्होंने साकेत धाम को त्याग कर धरा धाम पर रहने का निर्णय लिया था। क्योंकि उन्हें साकेत धाम में केवल आंखों से प्रभु के दर्शन होते हैं।जबकि धरा धाम पर उन्हें रोम रोम में प्रभु के दर्शन प्राप्त होते हैं। उन्होंने बताया कि हनुमान जी भगवान राम के परम सेवक थे। हनुमान जी का अवतार श्रीराम के काम के लिए हुआ था उनका मूल उद्देश्य श्रीराम का काम करना यानी रावण का अंत करके तीनों लोकों का सुखी करना था। हनुमान जी ने अपनी अणिमा सिद्धि का प्रयोग समुद्र पार कर लंका पहुंचने के बाद किया था। हनुमान जी हर मुश्किल प्रस्थिति में श्रीराम जी के साथ खड़े रहे और पूर्ण तत्परता से प्रवीत्येक सेवा को पूर्ण किया। हनुमान जी ने अपनी अद्भुत वीरता, सेवा आदर्श, अनन्य भक्ति, अनंत सद्गुणों से केवल अपना ही जीवन सफल नहीं किया। आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है। गोस्वामी तुलसीदास जी हनुमान चालीसा की इस चौपाई में हनुमान जी का वर्णन करते हुए बताते है कि हनुमान जी प्रभु राम की कथा सुनने के रसिक थे। कार्यक्रम का संचालन रानू तिवारी ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता समुदाय उपस्थित रहा।

 रिपोर्टर : आशुतोष गोस्वामी

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