भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कर्मयोगी,अभ्युदय एवं विकसित भारत संगोष्ठी कलेक्ट्रेट में संपन्न

झांसी : आज मंडलायुक्त झांसी बिमल कुमार दुबे की अध्यक्षता में भारत देश को विकसित राष्ट्र बनाने की संकल्पना के उद्देश्य से "कर्मयोगी, अभ्युदय एवं विकसित भारत संगोष्ठी" का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया। गोष्ठी में एल0 वेंकटेश्वर लू (आई0ए0एस0) प्रमुख सचिव, समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन तथा महानिदेशक, उपाम एवं एसआईआरडी मुख्य अतिथि तथा चंद्रशेखर, सीईओ अन्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। गोष्ठी में सर्वप्रथम जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उपस्थित अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रमुख सचिव, समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन तथा महानिदेशक, उपाम एवं एसआईआरडी ने अपने संबोधन में विकसित भारत की संकल्पना को सरकार बनाने के उद्देश्य से कर्मयोगी, अभ्युदय एवं विकसित भारत पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संपूर्ण विश्व में ईश्वर का एक ही स्वरूप है, जिनको हम सभी के द्वारा अनेक रूपों में जाना जाता है। ईश्वरीय तत्व को जानना, देखना एवं समझना ही एकीकरण का कारक है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के भीतर भोग एवं योग का एक साथ समावेश नहीं हो सकता है। ईश्वर अलौकिक है, जिनके ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमें अपने मन को नियंत्रित करना होगा। जिस व्यक्ति को आत्मज्ञान का अनुभव होता है, वह ईश्वरीय तत्व का आभास करने लगता है। हमारे देश में धार्मिक मतभेद विभिन्न धर्मों में मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों द्वारा उत्पन्न किए गए हैं, जिन्होंने धर्म की परिभाषा को, धर्म का अनुसरण करने वाले लोगों के बीच गलत तरीके से प्रस्तुत किया। हम सभी को इस अवधारणा को दूर करने के लिए अपने विचारों में आपसी संवाद का समावेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना को धरातल पर अवतरित करने के लिए हम सभी को आत्मचिंतन के साथ कार्य करना होगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महिला सशक्तिकरण अत्यधिक महत्वपूर्ण कारक है, माता ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है, जो बच्चे को जन्म के पश्चात उसे आध्यात्म एवं सत्कर्म की शिक्षा प्रदान करती है। श्रेष्ठ कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है, जो व्यक्ति सच्चे और अच्छे कर्म करेगा वह निश्चित रूप से अपने जीवन में सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। हमारी संस्कृति में ईश्वर को गुरु माना जाता है। हमें ईश्वर का साथ, नि:स्वार्थ भाव के साथ मन में प्रेम और समर्पण भाव से अपने कर्म को पूरा करने से प्राप्त होता है, इसके लिए हमें अपने जीवन में सर्वहित, अनुशासित भोजन, वरिष्ठजनों की शिक्षा, स्वस्थ शरीर लोभ-लालच का त्याग, ईश्वरीय ज्ञान का अनुसरण एवं अभिमान के त्याग जैसे कारकों का समावेश करना होगा। उन्होंने कहा कि भय को पराजित करने एवं निर्भीकता को प्राप्त करने के लिए हम सभी को ईश्वरीय सत्ता का अनुपालन करना होगा, जो व्यक्ति परमात्मा के बने हुए नियमों का अनुपालन नहीं करता है, वह व्यक्ति स्वयं में ही परेशान बना रहता है और प्रत्येक समय उसके मुख पर एक अदृश्य भय दिखाई देता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का अंतर्मन से परीक्षण करना चाहिए, जिससे हमें अपनी कमियों एवं उपलब्धियों का बोध हो सके। उन्होंने कहा कि जो धर्म समानता, एकता और प्रेम की शिक्षा दे हमें उसी धर्म का पालन करना चाहिए तथा जो लोग इन शब्दों से विपरीत शिक्षा देते हैं हमें उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं का परित्याग करना चाहिए। अपने देश को विकसित भारत बनाने के लिए हम सभी को कर्मयोगी बनकर कार्य करना होगा। गोष्ठी में मंडलायुक्त विमल कुमार दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी राजकीय सेवक अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, जो एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास है। जीवन में दुख से वियोग हो जाना ही योग है और अभ्युदय का अर्थ विकार है। उन्होंने कहा कि विकास की दो अवधारणाएं (पश्चिमी एवं पूर्वी) हैं। पश्चिमी अवधारणा भौतिकवादी विचारधारा एवं पूर्वी अवधारणा सांस्कृतिक समुदाय के भीतर सामूहिक कल्याण और परस्पर निर्भरता पर ध्यान केंद्रित करती है। हमें सनातन संस्कृति की परिकल्पना को अपने जीवन में धारण करना चाहिए, जिससे हमारा देश विकसित राष्ट्र बन सके, इसके लिए हमें सदासहता, सहयोग, सम्मान, सामर्थ्य, संवेदना, सहिष्णुता, सहृदयता एवं स्वीकृति जैसे अष्टमार्गों का अनुसरण करना चाहिए। गोष्ठी में पुलिस उप महानिरीक्षक केशव कुमार चौधरी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के वचन अपने वास्तविक रूप को तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब वह व्यक्ति अपने द्वारा कहे गए वाक्यों को अपने आचरण में भी धारण करता हो। हमें अपने दायित्वों के निर्वहन हेतु अपने लक्ष्य से कभी भी विचलित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गोष्ठियों के माध्यम से हमें अपने कार्यों के पूर्ति में आने वाली बढ़ाओ को दूर करने का मार्ग दिखाई देता है। हमें कर्मयोगी बनने के लिए अपने कार्यों में ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा को अपनाना होगा। देश का प्रत्येक नागरिक यदि हमारे संविधान में दिए गए कानून का अनुपालन करता है, तो वह अपने देश को विकसित भारत बनाने में भी सहयोगी बन सकता है। गोष्ठी में जिलाधिकारी श्री मृदुल चौधरी ने विकसित भारत की संकल्पना को सरकार बनाने के लिए अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शासकीय अंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को विकसित करने के लिए कर्मप्रधान बनना होगा, इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक चिंतन पर अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए। हमें अपने कार्यों में नवाचार का समावेश करते हुए स्वयं को मानसिक रूप से प्रसन्न एवं सकारात्मक रखना चाहिए। गोष्ठी में सीईओ प्रोफेसर चंद्रशेखर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें अपने देश को विकसित भारत बनाने के लिए सर्वप्रथम अपनी सोच (विचारों) को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य के सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए हमें अपने कार्य करने के तरीकों में सुधार लाना होगा, इसके लिए हमें विचारों में लक्ष्य निर्धारण, सकारात्मकता, नवाचार तथा भावनात्मकता की भावना का समावेश करना होगा।गोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए उपनिदेशक समाज कल्याण विभाग एस0एन0 त्रिपाठी ने बताया कि "विकसित भारत" का अर्थ है एक ऐसा भारत जो आर्थिक रूप से मजबूत, सामाजिक रूप से प्रगतिशील और तकनीकी रूप से उन्नत हो। यह भारत सरकार का एक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा कि आज की यह गोष्टी हमारे देश को विकसित भारत बनाए जाने की दिशा में अपनी आंतरिक एवं बाहरी ज्ञान को जानने के लिए आयोजित की गई है। हमारे देश को विकसित भारत बनाने के लिए हम सभी को आपसी संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है। गोष्टी के दौरान उपस्थित मंडलीय एवं जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए गए। इसके अंतर्गत सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारा देश विकासशील भारत से विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की संगोष्टियां हमें अपने दायित्व के प्रति गंभीर एवं लग्नशील होने का कार्य करती हैं। गोष्ठी में प्रधानाचार्य राम लखन इंटर कॉलेज डॉक्टर चित्रलेखा ने कहा कि आज का यह विषय अत्यधिक गंभीर एवं चिंतनपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कर्मयोगी से तात्पर्य, नि:स्वार्थ भक्ति एवं योगी की भांति अपने कर्म (दायित्वों) की पूर्ति करना है, जिसके लिए हमें विद्यालयों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं को आध्यात्मिक ज्ञान एवं योग की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन कुमार मैत्रेय ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमें अपने शासकीय दायित्वों एवं दैनिक जीवन के कार्यों की पूर्ति हेतु कार्य के उद्देश्य एवं उसकी उपयोगिता पर भी अपना ध्यान आकर्षण करना चाहिए इसके लिए हमें मानसिक चिंतन करते हुए सार्थक रूप से तर्कपूर्ण प्रयास करने होंगे।गोष्ठी में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी जे0 बी0 शिंदे ने कर्मयोगी के बारे में बताया कि हमें अपने प्रत्येक कार्य को, कार्य की उपयोगिता एवं उसकी पूर्ति हेतु जन सामान्य के कल्याण पर भी ध्यान देना चाहिए।इसके पश्चात अपर जिलाधिकारी प्रशासन शिव प्रताप शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम उस देश के निवासी हैं, जहां पर हमारी ख्याति देश-विदेश में कर्मयोगी के रूप में जानी जाती है। हमारा उद्देश्य फल की प्राप्ति न रखते हुए केवल कर्म करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी इच्छा के किए गए कार्य को ही कर्मयोग की संज्ञा दी जाती है। कर्मयोग की पूर्ति हेतु हमें प्राथमिक तौर पर अपनी अपेक्षाओं का त्याग करना होगा, हमें अपने दायित्वों के लिए सदैव समर्पित रहकर अपनी योग्यताओं का सार्थक प्रदर्शन करते हुए निस्वार्थ भाव से अपने कार्यों को पूर्ण करना चाहिए।गोष्ठी में उपनिदेशक पंचायत ने कहा कि कर्म को योग की भावना के साथ करना ही कर्मयोग है। उन्होंने कहा कि कर्म को प्रशासनिक, सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन के रूप में विभाजित किया जा सकता है। हमारे द्वारा इन तीनों क्षेत्रों में समान रूप से सामंजस्य बैठना ही कर्मयोग को सही मायने में परिभाषित करता है एवं हम सभी द्वारा इस बात का अनुसरण करने पर ही हमारे देश को विकसित भारत बनाया जा सकता है।इस दौरान प्रधानाध्यापक राजकीय इंटर कॉलेज झांसी सतीश कुमार ने कहा कि प्रत्येक धर्म में मोक्ष का द्वार भक्ति मार्ग को माना गया है। यदि कोई व्यक्ति सद्भावना के साथ अपने कर्म का ईमानदारीपूर्वक पालन करता है, तो वह निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा में यदि कर्मयोग की शिक्षा का समावेश किया जाए, तो हमारा देश भी विकसित भारत बन सकता है। इसके पश्चात उपनिदेशक उद्यान विभाग विनय कुमार ने कहा कि हमारे दर्शन में भक्तियोग, ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का समावेश है, इनमें कर्मयोग सबसे महत्वपूर्ण कारक है। मनुष्य के लिए जीवन को सार्थक बनाने हेतु कर्म ही एकमात्र साधन है। हमें प्रत्येक कार्य को पूर्ण ईमानदारी के साथ कर्मयोगी की भांति करना चाहिए, तब ही हमारा देश विकसित भारत के रूप को धारण कर सकता है। गोष्ठी के अंत में जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथि का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।गोष्टी के दौरान पुलिस उप महानिरीक्षक केशव कुमार चौधरी, जिलाधिकारी मृदुल चौधरी, संयुक्त विकास आयुक्त ऋषिमुनि उपाध्याय, अपर निदेशक स्वास्थ्य विभाग डॉ0 सुमन, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी जे0बी0 शिंदे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुधाकर पाण्डेय, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वरुण कुमार पाण्डेय, उपनिदेशक समाज कल्याण विभाग एस0एन0 त्रिपाठी, जिला विद्यालय निरीक्षक श्रीमती रति वर्मा, जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रीमति ललिता यादव, जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन मैत्रेय सहित अन्य मंडलीय एवं जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
रिपोर्टर : अंकित साहू
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