गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर गुरूचरणनन में शीश झुकाये गुरूओं का हुआ सम्मान एवं विचार गोष्ठी सम्पन्न

झाँसी :  श्रावण मास समारोह महासमिति एवं युवा ब्राम्हण महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा पर्व की पूर्व संध्या पर रानीमहल स्थित गोपीनाथ जी का मंदिर में गुरू सम्मान समारोह एवं विचार गोष्ठी का आयोजन राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा के मुख्य आतिथ्य तथा अध्यक्ष रवीश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुआ। सर्वप्रथम कुछ गुनगुन पाठक ने गुरू वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि गुरु के बताये हुए मार्ग से ही मनुष्य का कल्याण संभव है तथा बिना गुरु के जीवन व्यर्थ है। गुरू का सम्मान अनादि काल से होता चला आ रहा है। आज के युवाओं को गुरू का सम्मान करना अति आवश्यक है। गुरू ही मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकता है। गुरूओं का सम्मान सर्वश्रेष्ठ सम्मान है।अध्यक्षता कर रहे रवीश त्रिपाठी ने कहा कि नयन अमीय द्रव्य दोष, विभिन्जन गुरू कृपा के द्वारा व्यक्ति के जीवन की कालिका (दोष, पाप, संताप) आदि नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान के उदय का कारक भी गुरू ही है। गुरू के बिना संसार रूपी समुद्र से कोई व्यक्ति पार नहीं हो सकता।

गुरू सम्मान समारोह में जिलाधर्माचार्य महन्त पं० विष्णु दत्त स्वामी, महानगर धर्माचार्य पं० हरिओम पाठक, पं0 रामेश्वर प्रसाद उपाध्याय, पं0 जगदीश मिश्रा, कालीचरन जारौलिया, चिन्तामणि दुबे, सुरेन्द्र तिवारी, पं० कमल व्यास, मनोज चतुर्वेदी, महेश पाण्डे, बालकृष्ण नायक, विनोद समाधिया, सुरेश खेबरिया, हरिशंकर चतुर्वेदी, अनूप पाठक, राधे चौबे, संजीव दुबे, कुलदीप शर्मा, शिव नायक, शुभम दुबे, मार्तण्ड स्वामी, राजेश तिवारी, अभिमन्यु व्यास, सुरेश कुमार शर्मा, अनिल शर्मा, डब्बू गोस्वामी, संगम शर्मा, राघवेन्द्र पटवारिया आदि गुरूओं को हरगोविन्द कुशवाहा तथा अध्यक्ष रवीश त्रिपाठी ने पीताम्बर एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। गोष्ठी में धर्म गुरूओं के चरणों में शीश झुकाते हुए विनोद अग्रवाल, राजकुमार अमरया, रजत त्रिपाठी, मयंक श्रीवास्तव पार्षद, अंकुर अग्रवाल, पी के उपाधयाय, मुकेश सिंघल, चन्द्रप्रकाश मिश्रा आदि ने कहा कि गुरू के बिना ज्ञान असंभव है। जन्म से माता, कर्म में पिता, धर्म में शिक्षक, मर्म में गुरू ही जीवन के प्रदाता हैं। गुरू ज्ञानियों के नेत्र का स्वच्छ अंजन है। गुरू के बिना कोई पार नहीं हो सकता है। विभिन्न वक्ताओं ने गुरू की महिमा का गुणगान करते हुए गुरू के तेज पुंज अस्तित्व आशीष एवं दया करूणा का विस्तृत उल्लेख करते हुए गुरू चरणों में नमन करने की अपील की। संचालन संजीव त्रिपाठी ने किया अन्त में आभार मार्तंड स्वामी ने व्यक्त किया।

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