ब्राह्मणों ने मांगा अल्पसंख्यक जाति का दर्जा

झांसी : आज ब्राह्मणों के सामाजिक और राजनैतिक पतन पर चिन्ता, चिन्तन और समाधान को लेकर एक सभा का आयोजन राजकीय संग्रहालय में किया गया जिसमें राजनैतिक और सामाजिक तौर पर ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार पर गहन चिन्ता व्यक्त की गयी और इस बात पर गहन मंथन हुआ कि हमारा भविष्य कौन तय करेगा, सरकार, राजनैतिक दल, घटिया नेता या हम स्वयं।
सभा की शुरुआत माता वीणावादिनी और भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात सभा का आरंभ राष्ट्रगान गाकर किया गया उसके बाद मंचासीन अथितियों के स्वागत के साथ सभा का आरंभ हुई, मुख्य अतिथि पंडित पंकज रावत ने कहा कि आजादी के बाद यदि कोई जाति राजनैतिक और सामाजिक रूप से उपेक्षित रही है तो ब्राह्मण है, ब्राह्मणों को जातिवाद फैलाने, दलितों पर अत्याचार करने वाला खलनायक सिद्ध करने की होड लगी है जो देखो वह ब्राह्मणों को गली देने और देश से निकालने के लिए अतुर बैठा है ऐसे में अब ब्राह्मणों को शान्त नहीं बैठना चाहिए चाहे आरक्षण हो या हरिजन एक्ट इस पर हमें खुलकर बोलना होगा साथ ही यदि फिर भी सरकार या समाज नहीं चेतता तो हमें बडे़ आन्दोलन का रूख करना चाहिए।
मांगा अल्पसंख्यक जाति का दर्जा- रावत ने सभा में कहा कि हमें अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार से अल्पसंख्यक जाति का दर्जा मांगना चाहिए साथ ही अलग से 12.5 प्रतिशत आरक्षण की मांग करनी चाहिए और यह मांग भी करनी चाहिए कि सिर्फ ब्राह्मणों को नही क्षत्रिय, वैश्य और कायस्थों को भी अलग से आरक्षण दिया जाये।
बैठक में गऊ सेवक गौरी शंकर बिदुआ ने कहा कि पक्षपात की हद हो गयी यदि सरकार कुछ नहीं करती तो हमें सभी विकल्प खुले रखने होंगे। अरविन्द तिवारी ने कहा कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए ब्राह्मणों की बलि दी जाये यह ठीक नहीं है। रिटा. अध्यापिका सरोज पस्तोर ने कहा कि अत्याचारी जाति का जो तमगा हमें दिया जा रहा है वह स्वीकार नहीं है। डाॅ. राकेश तिवारी ने एकजुटता पर बल दिया, मनोज शर्मा ने कहा कि
सभा का संचालन मंजुल पुरोहित ने तथा आभार मनोज शर्मा ने किया।
इस अवसर पर मंजुल पुरोहित, अरविन्द तिवारी, राहुल मिश्रा, उर्मिला पटेरिय, चंद्रा त्रिपाठी, आनंद तिवारी, राकेश सुरोठिया, राजेश तिवारी, प्रभात रावत, धरन शर्मा, चन्द्र शेखर तिवारी, आशुतोष द्विवेदी, बीसी शर्मा, अशोक वैध, राधारमन उपाध्याय, शर्मा, अजय मिश्रा, कवि राजेश तिवारी मक्खन, राम नारायण शर्मा, मनोज शर्मा, सत्येंद्र शर्मा, वीरेंद्र मिश्रा, आदि दो सैंकड़ा से अधिक विप्रबन्धु उपस्थित रहे।
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