दहेज लोभी पति सहित दो की जमानत अर्जी निरस्त

झांसी । पांच लाख रुपए व स्कार्पियो वाहन की मांग पूरी नहीं होने पर मौत के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (आव०वस्तु० अधि०) जितेन्द्र यादव के न्यायालय ने पति सहित दो आरोपियों की जमानत अर्जी निरस्त कर दी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजेंद्र रावत व देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि ग्राम सातार गुर्जरा कला थाना ओरछा जिला निवाड़ी म०प्र० निवासी वादी मुकदमा नवाब सिंह यादव ने 21 मार्च 2025 को  रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि  10 जुलाई 2019 को उसने अपनी पुत्री संध्या यादव का विवाह सुखवीर यादव पुत्र पर्वत सिंह निवासी ग्राम बल्लमपुर, थाना-प्रेमनगर  झाँसी के साथ किया था। शादी में  अपनी सामर्थ्य अनुसार दान दहेज दहेज देने के बाद भी उसकी पुत्री को ससुराल वाले अतिरिक्त दहेज में 05 लाख रूपए और महिन्द्रा स्कार्पियो गाड़ी की माँग करने लगे और जब उसकी पुत्री चार माह की गर्भवती थी तब माह अगस्त 2023 में रक्षा बन्धन के त्यौहार पर पति, ससुर, सास, ननद व ननदोई  आये थे और स्कार्पियो की मांग को लेकर उसकी पुत्री की मारपीट करते हुए कहा कि  इसको मार डालो हम सुखबीर की दूसरी शादी करा देगें और  उसकी पुत्री के पेट में लात मार दी,जिससे उसको अत्याधिक रक्त से उसका गर्भपात हो गया ।जिसकी सूचना पर वह अपनी पुत्री की ससुराल अपने पुत्र और भाई के साथ पहुँचा तो उक्त सभी लोग माफी माँगने लगे कि हम ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे ,जिस पर उसने कोई कार्यवाही नहीं की।  16 मार्च 2025 को  उसकी पुत्री के मोबाइल पर एक वीडियो आया जिसमें अपने ससुराल वालों द्वारा दोबारा मारना पीटना बताया और कहा कि ससुराल वालों के कहने पर मैं मरने जा रही हूँ, क्योंकि ससुराल वाले कहते हैं कि मर क्यों नहीं जाती ताकि हम अपने बेटे की दूसरी शादी कर लें हम तो बहुत पहुँच वाले आदमी है। हम सब निपट लेंगे। वीडियों को देखकर वादी बहुत परेशान हो गया ।  बाद में जानकारी हुई कि  उसकी पुत्री की लाश बल्लमपुर के पास रेलवे लाईन पर पड़ी हुयी है। पूरा यकीन है कि पुत्री की हत्या करके उसके ससुरालीजनों ने रेलवे लाईन पर फेंक दिया है। रिपोर्ट पर मुकदमा पंजीकृत किया गया। उक्त मामले में अभियुक्त सुखबीर यादव पुत्र पर्वत सिंह निवासी ग्राम बल्लमपुर, थाना-प्रेमनगर व अभियुक्त पुष्पेन्द्र यादव पुत्र श्री राम यादव, निवासी पुनावली खुर्द अमरपुर, थाना-रक्सा की ओर से  धारा-115 (2), 352, 351(3), 89, 85, 80(2), 108 बी०एन०एस० एवं  डी०पी० एक्ट के मामले में प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र न्यायालय ने निरस्त कर दिया।

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