चैक बाउंस के मामले में 01 वर्ष का कारावास एवं 6,50,000 रूपये अर्थदण्ड

झांसी । दोस्ती में दगा करते हुए मां की बीमारी के उपचार व घरेलू खर्च के लिए लाखो रुपए के एवज में दिए चैक बाउंस होने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट /सिविल जज (जू०डि०) / एफ०टी०सी० खुशबू धनकड़ के न्यायालय ने एक अभियुक्त को 01 वर्ष के कारावास एवं 6,50,000 रूपये (छह लाख पचास हजार रुपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
अधिवक्ता कुमार वैभव तिवारी के अनुसार नई बस्ती निवासी परिवादी कमल किशोर पुत्र चन्द्रभान शर्मा ने सी०एम०ओ० कार्यालय कार्यरत पाल कालोनी निवासी अर्जुन अहिरवार पुत्र शोभाराम अहिरवार के खिलाफ दायर परिवाद में बताया कि
उसकी अभियुक्त अर्जुन अहिरवार से दोस्ती के कारण उनका घर भी आना जाना था। एक-दूसरे को अच्छी तरह जानने-पहचानने के कारण अभियुक्त को अपनी मां की बीमारी के इलाज हेतु व घरेलू खर्च हेतु अचानक रुपयों की आवश्यकता पड़ने पर अभियुक्त ने परिवादी से रुपये उधार मांगे, जिस पर परिवादी ने अपनी जमीन बेचने के बयाने में मिले रूपए में से अभियुक्त को 4,35,000 रुपये 29 फरवरी 2020 को उधार दिये थे। रकम की अदायगी हेतु अभियुक्त ने सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, शाखा-बी०के०डी० के पास, झाँसी की दो चैकें क्रमशः2,20,000 रुपया एवं 2,15,000/-रुपये दिनांकित 10 अगस्त 2020 की परिवादी को दी थी । परिवादी ने अभियुक्त के द्वारा दी गयी चैकों को अपने बैंक के खाते में भुगतान हेतु जमा किया तो उक्त चैके "फण्ड इनसफीसियेंट" के रिमार्क के साथ बिना भुगतान के वापस प्राप्त हुई। उक्त चैक वापस आने पर परिवादी ने अभियुक्त से फोन पर कहा तो अभियुक्त ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। मजबूर होकर परिवादी ने अपने अधिवक्ता द्वारा एक नोटिस अभियुक्त को भेजा गया लेकिन अभियुक्त ने नोटिस प्राप्ति के बाद भी नोटिस की म्याद के अंदर रुपया वापस नहीं किया। जिस पर धारा 145 एन०आई० एक्ट के तहत 30 अक्टूबर 2020 को परिवाद पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया।
न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर सिद्धदोष अभियुक्त अर्जुन अहिरवार को धारा 138 एन०आई० एक्ट के अपराध में 01 वर्ष के कारावास एवं 6,50,000 रूपये (छह लाख पचास हजार रुपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अधिरोपित अर्थदण्ड में से 6,00,000/- रुपये (छह लाख रुपये) की धनराशि परिवादी को चैक राशि, हर्जा खर्चा व प्रतिकर के रूप में प्राप्त होगी तथा शेष 50 हजार रुपये राजकोष में अर्थदण्ड के रूप में जमा किये जायेंगे।
अधिरोपित राजकोषीय अथर्दण्ड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियुक्त द्वारा 01 वर्ष का कारावास भुगतने का विकल्प चुनने के बावजूद उसे, परिवादी की अर्थदण्ड/बैंक राशि/हर्जा-खर्चा/प्रतिकर 6,00,000 रुपये की देनदारी के उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं किया जायेगा।
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