भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है: डॉ सुनील तिवारी

झांसी । आज जिला शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान में प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को हिन्दी भाषा प्रशिक्षण के संबंध में तृतीय बैच में सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी आफ कर्नाटक के फर्स्ट कोर्ट मेम्बर रहे डॉ सुनील तिवारी ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए, हिन्दी भाषा के शिक्षण की बारीकियों से प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए विशद् विवेचन करते हुये कहा किप्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी भाषा शिक्षण कौशल के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- भाषा कौशल का विकास:
बोलने का कौशल: बच्चों को शुद्ध शब्द उच्चारण, ध्वनि निर्गम, आत्मविश्वास और प्रवाह के साथ बोलने का कौशल विकसित करना।
सुनने का कौशल: बच्चों में पूर्ण मनोयोग से सुनने और सुनकर समझने का कौशल विकसित करना।
- पढ़ने का कौशल: बच्चों को सही गति और पूर्ण मनोयोग से पढ़ने के अर्थ को समझने का कौशल विकसित करना।
लिखने का कौशल: बच्चों में सुंदर लेखन, शुद्ध वर्तनी और व्याकरण संबंधी वाक्य रचना के कौशल का विकास करना।
- व्याकरण और साहित्य का ज्ञान:
- व्याकरण: बच्चों को वर्ण, लिपि, शब्द समूह और वाक्य रचना का ज्ञान कराना।
साहित्य: बच्चों को साहित्य के माध्यम से मानव उपयोगी ज्ञान कराना और साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
- अभिव्यक्ति कौशल:
मौखिक अभिव्यक्ति:
बच्चों में मौखिक अभिव्यक्ति के कौशल का विकास करना, जैसे कि वार्तालाप और कथा श्रवण।
लिखित अभिव्यक्ति:
बच्चों में लिखित अभिव्यक्ति के कौशल का विकास करना, जैसे कि सुंदर लेखन और शुद्ध वर्तनी ।
इन कौशलों को विकसित करने के लिए शिक्षकों को विभिन्न तरीकों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि गतिविधियों, परियोजना कार्यों और खेलों के माध्यम से। शिक्षकों को छात्रों की प्रगति का आकलन करने और उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए भी दक्ष किया।
इस अवसर पर डाईट प्रशिक्षण प्रभारी सुनील साहू, हरीओम जी, अरूण कुमार, रेखा वर्मा, रामपाल सिंह, सत्येन्द्र सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इस बैच में विकासखंड चिरगांव, गुरसराय सहित नगर क्षेत्र के दो सौ शिक्षक- शिक्षकाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
No Previous Comments found.