अब भारत की चुप्पी नहीं, भारत की चट्टान बोलेगी- अनुराग शर्मा

झांसी: 5 अगस्त 2025 की तारीख केवल एक बैठक की नहीं, बल्कि भारत के आत्मसम्मान और प्रतिशोध की पराकाष्ठा का प्रतीक बन गई। एनडीए संसदीय दल द्वारा पारित प्रस्ताव ने यह स्पष्ट किया कि अब भारत आतंक के विरुद्ध केवल निंदा नहीं, निर्णायक कार्रवाई का मार्ग चुन चुका है। यह लेख झांसी-ललितपुर के सांसद  अनुराग शर्मा के दृष्टिकोण से इस प्रस्ताव के प्रभाव, उसकी आवश्यकता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसके प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
 
पहलगाम हमला – मानवता पर सबसे बड़ा हमला :- 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)' ने एक भयानक हमला किया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों को धर्म के आधार पर चुन-चुनकर मौत के घाट उतारा गया। इस हमले ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया। यह केवल आतंकवाद नहीं था, यह भारत की आत्मा और उसकी सहिष्णु संस्कृति पर सीधा प्रहार था।
प्रधानमंत्री का संकल्प – 'हम नहीं भूलेंगे, हम नहीं क्षमा करेंगे' :-
हमले के दो दिन बाद, बिहार की पावन भूमि से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की – ‘भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों को बख्शेगा नहीं, उन्हें खोजकर सज़ा देगा।’ यह घोषणा केवल राजनीतिक वक्तव्य नहीं था, यह राष्ट्र की ओर से युद्ध की उद्घोषणा थी – आतंक के विरुद्ध।
ऑपरेशन सिंदूर – मातृशक्ति के सम्मान में चला प्रतिशोध :- 6-7 मई 2025 की रात भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। इस अभियान का नाम ‘सिंदूर’ भारत की नारीशक्ति के सम्मान से प्रेरित था – जिन महिलाओं के माथे का सिंदूर पहलगाम में मिटाया गया, उनके सम्मान की रक्षा में यह अभियान समर्पित था। यह भारतीय सेना के साहस, रणनीति और स्वदेशी सैन्य तकनीक की जीत थी।
 
भारत की आतंक के विरुद्ध नई नीति :- संसदीय प्रस्ताव में प्रधानमंत्री मोदी की नई आतंकवाद नीति को तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित बताया गया:
1.आतंक का उत्तर अब तत्काल और भारत के चुने हुए स्थान और समय पर मिलेगा।
2.परमाणु हथियारों की आड़ में आतंक को पालने वालों को अब भारत की निर्णायक कार्रवाई का सामना करना होगा।
3.आतंकवादी और उन्हें संरक्षण देने वाली सरकार – दोनों अब एक ही श्रेणी में माने जाएंगे।.
वैश्विक प्रतिक्रिया – भारत की कूटनीति की जीत ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने वैश्विक मंचों पर आतंक के खिलाफ संगठित समर्थन जुटाया। 59 सांसदों को 32 देशों में भेजकर भारत ने न केवल आतंक के खिलाफ प्रमाण प्रस्तुत किए, बल्कि वैश्विक समर्थन भी सुनिश्चित किया। अमेरिका ने TRF को 'Global Terrorist' घोषित किया और BRICS देशों ने आतंक के विरुद्ध दोहरे मापदंडों को खारिज करते हुए 'Zero Tolerance' की नीति अपनाई।
 अनुराग शर्मा ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा:
यह केवल ‘सिंदूर’ की रक्षा नहीं थी, यह भारत की अस्मिता की रक्षा थी। भारत सहिष्णु जरूर है, लेकिन कमजोर नहीं। अब भारत की चुप्पी नहीं, भारत की चट्टान बोलेगी।”
एनडीए संसदीय दल का यह प्रस्ताव केवल निंदा या समर्थन का दस्तावेज नहीं, यह भारत की नई चेतना का प्रतीक है। यह उस राष्ट्र का घोष है जो अब केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि अस्मिता और आत्मा की भी रक्षा करता है। यह लेख इस संकल्प का स्मरण कराता है कि 'सिंदूर' अब केवल श्रृंगार नहीं, यह भारत की रक्षा रेखा है – जिसे मिटाने वालों को अब माफ नहीं किया जाएगा।
 
रिपोर्टर अंकित साहू

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