संघर्षशील माताओं को समर्पित हुआ एक ऐतिहासिक दिन – डॉ. जितेन्द्र तिवारी

झांसी। जब मां अकेली होती है, तो वह सिर्फ एक अभिभावक नहीं रहती – वह पिता का संबल, गुरु की सीख, और भगवान की प्रत्यक्ष मूर्ति बन जाती है। ऐसी ही ममतामयी, संघर्षशील, आत्मबल से परिपूर्ण माताओं को समर्पित, "तू अकेली नहीं है मां – एकल अभिभावक माता सम्मान समारोह" आज शुभाशीर्वादम गार्डन में आयोजित हुआ।
यह आयोजन जिला जनकल्याण महासमिति एवं रानी झांसी फाउंडेशन, झांसी द्वारा डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी के मुख्य संयोजन में सम्पन्न हुआ । जिसमें भावनाओं का सैलाब था, श्रद्धा की गूंज थी, और एकल मातृत्व की मौन तपस्या को समाज की सामूहिक वंदना में बदलने का अद्भुत दृश्य था।
माताओं के संघर्षों की गाथा से रोम-रोम में श्रद्धा का संचार
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण वह था जब मंच पर ससम्मान विराजमान माताओं के पांव प्रच्छालन कर उनका पूजन किया गया। उस क्षण मां की आंखें भी नम थीं और उपस्थित जनसमूह का हृदय भी।
"माताओं के संघर्षों की गाथा से रोम-रोम में श्रद्धा और संकल्प का संचार हुआ।"
वे माताएं, जिन्होंने पति के विछोह, आर्थिक अभाव, सामाजिक अकेलेपन और जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी अपने बच्चों को पाल-पोसकर योग्य नागरिक बनाया – जब मंच से आशीर्वाद दे रही थीं, तब पूरा सभागार नतमस्तक हो गया।
सामान्य से असाधारण तक – एक नया मंच अनुकरणीय बना
इस बार परंपरा बदली गई – पहली बार माताएं मंच पर थीं और अतिथि दर्शक दीर्घा में बैठे। कार्यक्रम का प्रत्येक दृश्य मानो यह उद्घोष कर रहा था कि "मां सिर्फ रिश्तों की नहीं, समाज की भी धुरी है।"
हर एक मां को अंगवस्त्र पहनाकर, पुष्पमालाएं अर्पित कर और सिंहासन पर बैठाकर सम्मानित किया गया।
भावनाओं को छू गया नृत्य और संगीत का संगम
कार्यक्रम में मां को समर्पित गीतों पर प्रस्तुत नृत्यों ने सभी की आंखें नम कर दीं। बच्चियों द्वारा प्रस्तुत 'मां तुझे सलाम' पर नृत्य हो या 'लोरी' पर झांकी – हर प्रस्तुति में ममता का माधुर्य और तपस्या की गरिमा झलकती रही।
101 माताओं से मिला आशीर्वाद – बना सौभाग्य का पर्व
इस आयोजन में कुल 101 एकल अभिभावक माताएं शामिल रहीं, जिनमें से कई के पति सेना में रहते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके धैर्य, बलिदान और त्याग को पूरे समाज ने सिर झुकाकर नमन किया।इन सभी माताओं से संस्था के कार्यकर्ताओं ने सामूहिक आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके चरणों में प्रणाम कर संकल्प लिया कि "यदि मंचासीन कोई भी मां कभी पुकारेगी, तो हम पुत्रवत दौड़कर पहुंचेंगे।"
आयोजन के दौरान भजन, मां को समर्पित गीत और भावविभोर कर देने वाले संवादों ने कार्यक्रम को एक संस्कार और श्रद्धा के संगम में बदल दिया। हर प्रस्तुति में नारी शक्ति, मातृत्व और एकल माताओं के प्रति कृतज्ञता का भाव अभिव्यक्त हुआ।
धर्म, सेवा और समाज के अद्भुत समन्वय का स्वरूप
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला धर्माचार्य महंत विष्णु दत्त स्वामी ने की तथा आचार्य पं हरिओम पाठक, बसंत विष्णु गोलवलकर, आचार्य बृजकिशोर हरभजन भार्गव, वीरेंद्र कुमार त्रिवेदी, पुरषोत्तम स्वामी के विशिष्ट आतिथ्य में और मुख्य संयोजन डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने निभाया।
रानी झांसी फाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती निर्मल तिवारी द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक एवं सेवा उपसमितियों का गठन कर 21 मातृशक्तियों को सहसंयोजक की भूमिका दी गई।
यह आयोजन एकल मातृत्व की मौन तपस्या को समाज की सामूहिक वंदना में बदल देने वाला एक ऐतिहासिक क्षण बन गया – जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर जीवित रहेगा।
इनकी रही मुख्य भूमिका —
नीरज स्वामी, रमा शंकर तिवारी , हरीओम मिश्रा , पं. संजय दुबे , आर. एन. उपाध्याय , चंद्रमोहन राय , धर्मेंद्र सिंह नमन , धर्मेंद्र कारलेकर , सौरभ जेजुरकर , डॉ.मनीष मिश्रा , राज शर्मा , शिरोमणि शर्मा , श्रीमती साध्वी नीलम तिवारी , प्रीतिका बुधोलिया , श्रीमती कविता मिश्रा , श्रीमती दीपा तिवारी , श्रीमती अंजु शर्मा , श्रीमती शशि शर्मा , श्रीमती रचना शर्मा , फ्लाइंग ऑफिसर एस. एस. पी. गुप्ता , श्रीमती रंजना शर्मा , पूजा गुप्ता, विमलेश शर्मा, राहुल सैनी, निशा सैनी, जगमोहन बडोने,अनिल कुमार नायक,राधा नीलम गुप्ता, अनिरुद्ध शर्मा, प्राचार्य प्रिया शर्मा,आर के शर्मा, सतेंद्र कुमार तिवारी,मोतीलाल दुबे,डा शारदा सिंह,डा लवीन मसीह,ओम प्रकाश सिंह,इंजी वेद भार्गव,निधि भार्गव, कुसुम साहू,नेहा चौबे मोहक शर्मा, प्रथ्वी राज सिंह, जगमोहन बडोने, ममता सिंह, मनीष साहू, पंकज झा, सौरभ सोनी,आर एन शर्मा,एच एन शर्मा,डा संगीता राय, निर्मल कुशवाहा, शिल्पी गुप्ता, इंद्रपाल सिंह खनूजा, पियूष शर्मा, हरप्रीत सिंह, पूजा तिवारी, रंजना शर्मा,निशा सैनी, राहुल सैनी,शील कोपरा, रचना शर्मा, धर्मेंद्र कारलेकर,राखी मिश्रा, सीता शर्मा, बालमुकुंद अग्रवाल, सुनीता सोनी, निम्मी साहू,अंजना गुप्ता, सुषमा सिंह,बबलू पाल, संजीव नायक,संजय पटवारी, रविचंद्र निरंजन,सूरज तिवारी, मनीष साहू, गिरजा शंकर मालवीय,रेखा परिहार,रागनी सिंह, कैलाश नारायण मालवीय, मीना यादव,ममता गुप्ता, शेखावत उल्ला खान ।
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