"मोक्ष से वंचित नहीं होंगी अब अज्ञात आत्माएँ, हुआ तर्पण-पिंडपूजन, मानवता का अनुपम उदाहरण"

झांसी। हिंदू धर्म में मान्यता है कि मृत्यु के बाद यदि किसी का क्रियाकर्म, श्राद्धकर्म और पिंडदान विधिवत न हो तो आत्मा को शांति और मोक्ष नहीं मिलता। पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध-पिंडदान कर उनकी आत्मा की तृप्ति करते हैं, ब्राह्मणों को दान देते हैं और जीव-जंतुओं गाय, कुत्ता, चींटी,मछली और कौआ तक को भोजन कराते हैं। परंतु उन अज्ञात, लावारिस और अनाथ दिवंगत आत्माओं का क्या, जिनका कोई अपना नहीं रहा ? ये वही लोग हैं जो कभी किसी के परिवार का हिस्सा रहे होंगे, लेकिन दुर्घटनाओं, बीमारियों या विपत्तियों में असमय काल के गाल में समा गए। इनमें से कई की पहचान न हो सकी, अंतिम संस्कार तो हुआ, परंतु श्राद्ध और पिंडदान अधूरा ही रह गया। ऐसी आत्माएँ आज भी मोक्ष की प्रतीक्षा में हैं।
 
झांसी में हुआ अभूतपूर्व आयोजन
 
इसी पीड़ा को महसूस करते हुए जिला जनकल्याण महासमिति झांसी एवं रानी झांसी फाउंडेशन के तत्वावधान में आज पहुज नदी, सीपरी बाजार झांसी पर एक अनूठा आयोजन हुआ। संस्था के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी के नेतृत्व में अज्ञात, अनाथ और लावारिस दिवंगत आत्माओं के लिए सामूहिक तर्पण, श्राद्ध और पिंडपूजन संपन्न कराया गया।
वैदिक ब्राह्मणों और धर्माचार्यों ने गरुड़ पुराण के श्लोकों और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान कराया। श्रद्धालुओं ने भी अपने पितरों का स्मरण कर तर्पण अर्पित किया और आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की।
धर्माचार्यों का मत और शास्त्रीय आधार इस अवसर पर धर्माचार्यों ने स्पष्ट किया कि शास्त्रों के अनुसार केवल तर्पण या स्थानीय श्राद्ध से आत्मा को आंशिक शांति मिलती है, किंतु पूर्ण मोक्ष के लिए तीर्थराज गया जी में पिंडदान अनिवार्य है। महानगर धर्माचार्य आचार्य पं. हरिओम पाठक, बुंदेलखंड ब्राह्मण विद्वत परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष आचार्य पं. बृजकिशोर हरभजन भार्गव, राष्ट्रीय कथावाचक पं. मनोज चतुर्वेदी और पं. उमेश भार्गव, आचार्य सुमित उपाध्याय ने संयुक्त रूप से कहा कि “गरुड़ पुराण में उल्लेख है — ‘अनाथ प्रेत संस्कारात् कोटियज्ञफलं लभेत्’, अर्थात किसी अनाथ या लावारिस आत्मा का पिंडदान करने से मनुष्य को करोड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।”
गया जी : मोक्ष का अंतिम द्वार धर्माचार्यों ने बताया कि गया धाम को मोक्ष स्थली कहा गया है। यहाँ की फल्गु नदी, सीताकुंड एवं विष्णुपद वेदी पर किया गया पिंडदान 108 कुलों और सात पीढ़ियों का उद्धार करता है। यही कारण है कि पितृपक्ष में लाखों तीर्थयात्री देश-विदेश से गया जी पहुँचते हैं।
डॉ. जितेन्द्र कुमार तिवारी का संकल्प कार्यक्रम में संबोधित करते हुए डॉ. तिवारी ने कहा कि,
“गत वर्ष मैंने तर्पण और पिंडदान कराया था, परंतु शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि केवल स्थानीय तर्पण से आत्माओं को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती। जब तक गया जी में श्राद्ध-पिंडदान न किया जाए, कर्म अधूरा माना जाता है।
गरुड़ पुराण में लिखा है — ‘गयायां पिण्डदानं तु पितॄणां मोक्षसाधनम्।’ अर्थात तीर्थराज गया जी में किया गया पिंडदान ही पितरों के मोक्ष का वास्तविक साधन है। विष्णुपद वेदी पर किया गया पिंडदान पितरों को स्वर्ग में स्थान दिलाता है।
इसी आस्था और सनातन परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस बार मैंने सामाजिक दायित्व निभाने का संकल्प लिया है। जिन परिवारों के लोग किसी कारणवश गया जी नहीं जा सकते, उनके नाम-गोत्र के आधार पर भी मैं पिंडदान करूंगा। साथ ही अज्ञात, लावारिस और अनाथ आत्माओं को मोक्ष गति दिलाना इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य है।”
उन्होंने आगे कहा — “यह केवल व्यक्तिगत पूजा-पाठ नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी है। जिन आत्माओं का कोई नहीं, उनके लिए समाज को खड़ा होना चाहिए। हमारा अभियान इसी धर्म और कर्तव्य की भावना से प्रेरित है। सनातन धर्म में कहा गया है — ‘पितृदेवो भव।’ पितरों की उपासना देवताओं की उपासना के समान है।”
 
प्रेरणा और संदेश
 
इस आयोजन को श्रद्धालुओं और धर्माचार्यों ने मानवता का अनुपम उदाहरण बताया। उनका कहना था कि यह कार्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज के लिए करुणा और जिम्मेदारी का संदेश है। 
झांसी से गयाजी तक का यह अभियान निश्चित रूप से पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा। इस अवसर पर प्रमुख रूप से पंकज शुक्ला, आर एन शर्मा,एच एन शर्मा, चंद्रमोहन राय,सुनील शर्मा , प्रिया शर्मा, अनिरुद्ध शर्मा, राजेन्द्र शर्मा,पारस शर्मा, प्रतिमा ओझा, सुनील शर्मा,निशा सैनी, राहुल सैनी,आलोक शांडिल्य,अशोक शर्मा प्रिंस,प्रतिभा शर्मा,भावना चंदेल,उर्मिल कौशिक,हनी सीरोठिया,रामश्री गुप्ता,एम डी गुप्ता,एड शिरोमणि शर्मा, सभासद मंयक श्रीवास्तव , अनीता सिंह, अजय तिवारी,बी पी नायक,डा मनीष मिश्रा, सुभाष श्रीवास्तव, गिरिजा शंकर मालवीय, सुभाष झा, विवेक पालीवाल, मुकेश प्रजापति,सुरेश गौड, अजय तिवारी , जगदीश सिंह, कैलाश नारायण मालवीय, राहुल पचौरी, पंकज शुक्ला, मनीष मिश्रा, सौरभ जुजेलकर,पंकज झा, गोविंद शर्मा,धीरज शाक्य, आदर्श सूर्यवंशी, कबीर साहू,अनिल नायक, नीता माहौर,गीता त्रिपाठी, सूरज तिवारी उपस्थित रहे।

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