ब्राह्मण का सबसे बड़ा सम्मान उनका स्वाभिमान होता है- महंत आचार्य गुरू दीदी महाराज

झांसी। पितृ मोक्ष गमन के उपलक्ष्य में सिटी चर्च रानी महल के पास सिंधी धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय  श्रीमद् भागवत कथा के दिव्तीय दिवस पर सोमवार को श्री हृदय बिहारी आश्रम वृंदावन धाम मथुरा से पधारी कथा व्यास महंत आचार्य गुरू दीदी जी महाराज ने दूसरे दिवस की कथा के प्रथम स्कंध में प्रवेश करते हुए श्री सुखदेव भगवान के जन्म, अश्वत्थामा के द्वारा द्रोपती के अबोध पांच पुत्रों की हत्या और भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा को बचाने के लिए अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ने के प्रसंग सुनाकर उपस्थित जनों को भाव विभोर कर दिया।दूसरे दिन का मुख्य प्रसंग गर्भ में भगवान द्वारा राजा परीक्षित जी की रक्षा के बाद जन्म उत्सव का मनोहारी वर्णन रहा। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण का सबसे बड़ा सम्मान उनका अभिमान होता है, उसे ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए।
कथा के पूर्व आयोजक, मुख्य यजमान ममता चौरसिया,प्रीतेश रवि प्रकाश परिहार,छाया संदीप चौरसिया,आरती प्रियंकेश आदि ने श्री मद्भागवत ग्रन्थ की आरती उतारी।कथा व्यास ने सुन्दर भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।इस अवसर पर आयोजक ममता चौरसिया, प्रीतेश रवि प्रकाश परिहार,छाया संदीप चौरसिया, आरती प्रियंकेश,रजनी वृंदावन, राजेश चौरसिया एड, चन्द्र कांता महेन्द्र चौरसिया, ऊषा रविन्द्र कुमार सिंह,गीता राजेंद्र कुमार चौबे, सावित्री सुरेश चौरसिया,माया श्याम चौरसिया,रामबाबू साहू,पिंकी, मुन्नी देवी सहित अन्य भक्तगण उपस्थित रहे।

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