मन और इन्द्रियों को जीतने वाला भगवान: मुनिश्री पुनीतसागर महाराज

झांसी: वक्त पर जो न बोले उससे तो भला गूंगा होता हैं इसलिए मैं तो बोलूंगा कि आज का व्यक्ति दिन रात तन (शरीर) की तो चिंता करता हैं लेकिन आत्मकल्याण के बारे में नही सोचता। संत समागम पाकर संत बनो या न बनो लेकिन संतोषी अवश्य बनो। ये उदगार जैन मुनि आगमसागर जी महाराज ने गांधी रोड स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर की धर्मसभा में दिए। इसके पूर्व धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री पुनीत सागर महाराज ने कहा कि मन और इन्द्रियों को जीतने वाला भगवान होता हैं।जीवन को संयमित कीजिए,यदि हमारे जीवन में संयम नहीं हैं तो हम पशु समान हैं। इसके पूर्व आर्यिका अनर्घमति माताजी ने धर्मसभा में कहा कि उपदेश को कानों का नही बल्कि आत्मकल्याण का विषय बनाओ,साधु समागम से जीवन में बदलाव आना चाहिए। इस अवसर पर जैन समाज के संरक्षक अजित कुमार जैन,पंचायत उपाध्यक्ष सुभाषचंद्र बिजली,कोषाध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी,मनोनीत सदस्य सौरभ सर्वज्ञ,समाजसेवी रमेश अछरौनी,अशोक रतनसेल्स,आनन्द ड्योडिया,अरुण जैन सिर्स, रविन्द्र चिरगांव,संजय कर्नल,आलोक विश्वपरिवार,अनिल बाजा,प्रमोद वैरायटी,विजय मिठ्या,सुरेश अछरौनी,रविन्द्र कोरियर,संजीव चिरगांव,जितिन जैन,अंकित सर्राफ,सावन जैन,विवेक भगतजी,शुभम जैरी,श्रीमति शीला सिंघई,सरोज प्रेस,कल्पना जैन,ममता जैन बबली,अंजली सिंघई,रंजना जैन,दीप्ति जैन,आदि सैंकड़ों भक्त उपस्थित रहें। मंगलाचरण रजनी जैनको एवम् आभार ज्ञापन सौरभ जैन सर्वज्ञ ने व्यक्त किया।
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