गांवॉ प्रखंड पशु चिकित्सा केंद्र हो गया खण्डहर, नहीं है कोई भी डॉक्टर

गिरिडीह : गांवॉ प्रखंड में एक मात्र पशु चिकित्सा केंद्र जो गावां ब्लॉक परिसर से लगभग से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है पशुपालन विभाग केंद्र जो खंडहर में तब्दील हो चुका है यहां पर कोई भी चिकित्सा संबंधित डॉक्टर या कर्मचारी नहीं रहते हैं बताते चले कि पशुपालन विभाग केंद्र को आज से लगभग 15 साल पहले 24 घंटा सेवा उपलब्ध दी जाती थी लेकिन आज ठीक उसका उल्टा हो गया पशु चिकित्सा केंद्र हमेशा बंद पाए जाते है।एक भी पदाधिकारी या कर्मचारी उपस्थित नहीं रहते हैं मंगलवार को इसी क्रम में कुछ व्यक्तियों के द्वारा जांच करने आए तो पशुपालन केंद्र का ताला लटका हुआ पाया गया। कुल मिलाकर देखा जाता है कि पशुपालन केंद्र का ताला लगा हुआ ही रहता है इस संबंध में जब पशु चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर राम कृष्ण कोइरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यहां पर कोई भी डॉक्टर पदस्थापित नहीं है, और ना ही यहां पर कोई चिकित्सा संबंधी परामर्श कोई भी कर्मचारी की व्यवस्था नहीं की गई है जिसके कारण अधिकांश समय पशुपालन केंद्र बंद रहता है वही इस संबंध में कर्मचारियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां पर कोई भी कर्मचारी की व्यवस्था नहीं की गई और ना ही उसे किसी प्रकार की सैलरी वेतन एवं मानदेय दिया जाता है। जब दवा के विषय में पूछा गया तो उन्होंने बताया की कुछ दवा हमारे पशुपालन केंद्र में उपलब्ध है जो कि आपको उपलब्ध करवा दिया जाएगा पशु चिकित्सा केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने के कारण अधिकांश समय तक पशुपालन केंद्र में ताला लटका हुआ पाया जाता है। जब उनसे पशु चिकित्सा केंद्र में पदस्थापित नवलेश कुमार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें सीमेन (गर्भाधान)के कार्य के लिए रखा गया है और उन्हें वेतन दिया जाता है और कुछ समय वह अपना पशुपालन विभाग केंद्र में समय देते हैं,इस संबंध में वे कार्य गांव में जाकर कर रहे हैं। वहीं नवलेश कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होने बताया कि संविदा के आधार पर चार व्यक्तियों की यहां पर नियुक्ति की गई है । हम लोगों को सीमेन का कार्य (गर्भाधान) सौंपा गया है जो कि हम लोगों को गांव-गांव जाकर गर्भाधान का कार्य करना पड़ता हैं, जब नवलेश कुमार से पूछा गया कि आपका पशुपालन केंद्र में ताला बंद है तो उन्होंने बताया कि यहां पर कोई भी कर्मचारी नहीं है,उन्होंने बताया कि संविदा के आधार पर चार कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है जो सब अभी अपना अपना फील्ड में काम करते हैं जो प्रायः देखा जाता है , जहां एक ओर झारखंड सरकार की और से ग्रामीणों को भरपूर सहयोग किया जाता है वहीं दूसरी और पशुपालन विभाग की ओर से ग्रामीणों को धरातल पर इसका कोई भी लाभ नहीं हो पाता है अथवा परेशानियों को झेलना ही पड़ता है। जब ग्रामीणों को पशुपालन विभाग की ओर से पशु गाय, बकरी, सुअर, बत्तख आदि सरकारी योजना मुहैया कराया जाता है, उस समय डॉक्टर साहब अपने उपयुक्त समय देकर पशुओं का वितरण करते हैं और जब वही इलाज करने का समय आता है तो वह यहां पर कोई भी डॉक्टर पदस्थापित नहीं है कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं वो कहते हैं यहां पर कोई भी डॉक्टर उपस्थित नहीं है, बात चौंकाने वाली यह है कि जब आमदनी की बात होती है तो डॉक्टर साहब उपस्थित हो जाते हैं और जब इलाज करने की बड़ी होती है तो डॉक्टर साहब कहते हैं यहां पर कोई डॉक्टर की व्यवस्था नहीं है। साथ ही खण्डहर हुए पशु चिकित्सा केंद्र की मरम्मत भी करनी बहुत जरूरी है नहीं तो ये भवन कभी भी गिर सकता है।
रिपोर्टर : सचिन सिंह
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