क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में

उर्दू अदब के मक़बूल नामों में से एक हैं हजरत जौन एलिया, जिन्होंने शायरी के दौर को एक नया मोड़ दिया इसलिए वे सीधे दिल में उतरे और उनके शेर महबूबों के राग बन गए है ,पेश है प्रेमियों के लिए ये शेर ;

 

1 -  क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
       क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
        जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं

2 -इतना तो जनता हूँ की , अब तेरी  आरज़ू       
बेकार कर रहा हूँ मैं 
       मगर कर रहा हूँ मैं

3 -मैं  भी बहुत अजीब हूँ  ,इतना अजीब हूँ कि बस 
    खुद को तबाह कर लिया और  मलाल भी नहीं 

4 -ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता 
    एक ही शख्श था जहान में क्या 


5 -सारी दुनिया के गम हमारे है 
    और सितम ये की हम तुमरे है 


6 -किस लिए देखती हो आईना 
   तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो 

7 -मुझे अब तुमसे डर लगने लगा है 
   तुम्हे मुझसे मोहबत हो गई है 


8 -दिल  की तकलीफ़ हम नहीं करते 
    अब कोई शिकवा  हम नहीं करते 


9 -क्या कहा इश्क़ जावेदानी हैं !
    आख़िरी बार मिल रही हो क्या 


10 -और तो क्या था बेचने के लिए 
      अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे है 


11 -सोचता हूँ की उसकी याद आख़िर 
      अब किसे रात भर जगाती है 

12 -अब मेरी कोई ज़िंदगी नहीं 
       तुम मेरी ज़िन्दगी हो क्या 

13 -नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करे हम 
      बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ  करे हम 

14 -अब नहीं  कोई बात ख़तरे की 
      अब सभी को सभी से ख़तरा है 

15 -ऐ  शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से 
      बे - ज़ार नहीं हूँ थक  गया हूँ  

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