ज्वार की फसल उगाने की सही विधि और बेहतरीन तकनीक

ज्वार (Sorghum) भारत में एक महत्वपूर्ण अनाज की फसल है, जो खासतौर पर सूखे और अर्धशुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है। यह फसल भूजल की कम मांग करती है और सूखे के प्रतिरोधी होने के कारण किसानों के लिए लाभकारी होती है। सही उत्पादन तकनीक अपनाने से ज्वार की पैदावार बढ़ाई जा सकती है और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

1. जमीन का चयन और तैयारी

ज्वार के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या मध्यम मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
खेत को अच्छी तरह जुताई करें ताकि मिट्टी ढीली हो और जड़ें आसानी से फैल सकें।
फसल बोने से पहले खेत को समतल करें और बड़े कंकड़ हटाएं।

2. बीज का चयन और उपचार

उच्च गुणवत्ता वाले और स्थानीय जलवायु के अनुकूल बीज का चयन करें।
बीज बुआई से पहले बीज रोग नाशक दवाओं से उपचारित करें, जिससे बीज बेहतर अंकुरित हो और फसल रोगमुक्त रहे।

3. बुआई का समय

ज्वार की बुआई का उपयुक्त समय जून से जुलाई तक होता है।
समय पर बुआई करने से फसल को अच्छी बारिश मिलती है और उत्पादन बढ़ता है।

4. बुआई की विधि

बीजों को 3-5 सेमी गहराई में बोएं।
पंक्ति के बीच की दूरी 30-45 सेमी रखें ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें।
प्रति हेक्टेयर लगभग 10-15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

5. पानी का प्रबंधन

ज्वार सूखे क्षेत्र की फसल होने के कारण कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है।
बुवाई के बाद शुरुआती 30-40 दिनों में पौधों को उचित नमी उपलब्ध कराना आवश्यक है।
जरूरत पड़ने पर पानी देने के लिए सिंचाई करें, विशेषकर फूल आने और दाना भरने के समय।

6. खाद और उर्वरक का प्रयोग

बुवाई के समय खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट अच्छी मात्रा में मिलाएं।
नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), और पोटैशियम (K) के संतुलित मात्रा में प्रयोग से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ता है।
उर्वरक का सही समय और मात्रा जानने के लिए मिट्टी परीक्षण करवाना उपयोगी होता है।

7. खरपतवार नियंत्रण

ज्वार की शुरुआत में खरपतवारों से बचाव बहुत जरूरी है।
बुवाई के 20-30 दिनों के अंदर दो बार नखरपटी करें या आवश्यकतानुसार रासायनिक निराई-गुड़ाई करें।

8. रोग और कीट प्रबंधन

ज्वार की फसल में झुलसा रोग, पत्ती की सूखापन, मक्का मक्खी आदि कीट लग सकते हैं।
रोग और कीट नियंत्रण के लिए जैविक या रासायनिक नियंत्रण उपाय अपनाएं।
रोगग्रस्त पौधों को हटाना और खेत को साफ-सुथरा रखना आवश्यक है।

9. कटाई और भंडारण

ज्वार की कटाई तब करें जब दाने पूरी तरह पक जाएं और फसल का नमी स्तर लगभग 14% हो।
कटाई के बाद दानों को सुखाकर सुरक्षित स्थान पर रखें ताकि फफूंदी या कीट न लगें।

ज्वार की बेहतर पैदावार के लिए उचित बीज, समय पर बुआई, सही सिंचाई, उर्वरक और कीट प्रबंधन जरूरी है। इन सभी तकनीकों को अपनाकर किसान अच्छी उपज और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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