JPNIC विवाद...सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कसा तंज

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है। अधूरे निर्माण कार्य से लेकर मामले की जांच तक और अब इसे बेचने के आरोप लगे हैं। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार JPNIC को बेचने की तैयारी में है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि समाजवादी पार्टी इसे बिकने नहीं देगी।
JPNIC से भावनात्मक जुड़ाव-अखिलेश
लखनऊ स्थित सपा कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि JPNIC से उनकी भावनात्मक और राजनीतिक जुड़ाव है। उन्होंने बताया कि इस सेंटर का शिलान्यास जय प्रकाश नारायण समेत कई नेताओं की मौजूदगी में हुआ था, लेकिन इस सरकार ने इसे बर्बाद कर दिया है और इसे पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने समाजवादी छात्र सभा के दो कार्यकर्ताओं को बधाई दी।
जय प्रकाश नारायण ने जनता को जागरूक किया
अखिलेश यादव ने याद दिलाया कि जय प्रकाश नारायण ने जनता को जागरूक कर सरकार को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी, और समाजवादी पार्टी भी जनता को जागरूक कर सरकार बदलने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वे इसे खरीदने की इच्छा नहीं रखते, लेकिन इसे बेचने नहीं देंगे और सत्ता में आने पर इसे और बेहतर बनाएंगे।
सपा दफ्तर पर मनाई गई जय प्रकाश नारायण जयंती
11 अक्टूबर को जय प्रकाश नारायण जयंती के मौके पर सपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने JPNIC की बजाय सपा दफ्तर पर ही जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। इस बार भी जेपी सेंटर के बाहर भारी पुलिस सुरक्षा और बैरिकेडिंग की गई थी ताकि अखिलेश यादव वहां प्रवेश न कर सकें। हालांकि, सपा के दो कार्यकर्ता रात के अंधेरे में सेंटर में घुसकर जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने में सफल रहे, जिससे हड़कंप मच गया। अखिलेश यादव ने उन दोनों कार्यकर्ताओं को बधाई दी और कहा कि जिन कामों की हम सोच रहे थे, वे पहले ही कर दिए गए।
अखिलेश यादव ने कसा तंज-
अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि पुलिस इस बार भी पीछे रह गई, और इस साल का सोशलिस्ट पुरस्कार इन्हीं दोनों छात्र नेताओं को जाता है। जहां तक JPNIC की बात है, यह प्रोजेक्ट अखिलेश यादव की सरकार का सपना था, लेकिन यह अधूरा रह गया और अब खंडहर जैसी स्थिति में है। इस परियोजना पर लगभग 860 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 2013 में दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर गोमतीनगर में इसका निर्माण शुरू हुआ था, जिसका जिम्मा रियल एस्टेट कंपनी शालीमार को मिला था। 2017 तक इसका करीब 80 फीसदी काम पूरा हो गया था, लेकिन यूपी में बीजेपी सरकार के आने के बाद निर्माण रुक गया।
निर्माण में गड़बड़ी, जांच शुरू
निर्माण में गड़बड़ी पाए जाने के बाद शासन ने जांच शुरू करवाई, जिसके कारण बाकी काम रुका रहा। इसके संचालन में देरी और विवादों को लेकर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर लगातार हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इसे बेचने की योजना बना रही है।
इसके बाद योगी कैबिनेट ने इस भवन के रखरखाव का जिम्मा लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (एलडीए) को सौंप दिया। हाल ही में एलडीए ने JPNIC को किसी निजी कंपनी को देने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जो फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है।
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