यूं ही वादा करो यक़ीं हो जाए

फरवरी यानी की प्यार का महीना इस प्यार के महीने में बहुत से महबूब अपनी महबूबा से इजहार-ए-इश्क करते है .इस प्यार के महीने में एक ख़ास दिन होता है जिस दिन सभी प्रेमी और प्रेमिकाएं अपने अपने साथी से ख़ास वादे करते हैं. मुहब्बत में महबूब के हर वादे पर बिना सवाल एतबार किया जाता है। वादा चाहें मुलाक़ात का हो या ताउम्र वफ़ा का और इश्क़ का यह उसूल है कि वादों के टूटने पर भी क़यामत तक इंतज़ार करना होगा। प्रॉमिस डे पर प्रेमी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ज़िंदग़ी भर उसे कभी न छोड़ने की कसमें खाते हैं। इन्हीं कसमों और वादों पर बहुत से शायरों ने भी अपने अल्फ़ाज़ बयां किए हैं। आइये जानते हैं इन शायरों ने किस तरह से प्यार की कसमों को अपने शब्दों से बयां किया है .


एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं 
वरना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं 
- साग़र सिद्दीकी

किसने वादा किया है आने का
किसने वादा किया है आने का 
हुस्न देखो ग़रीबख़ाने का 
- जोश मलीहाबादी

वादा वो कर रहे हैं ज़रा लुत्फ़ देखिए
वादा ये कह रहा है न करना वफ़ा मुझे
- जलील मानिकपुरी


यूं ही वादा करो यक़ीं हो जाए
क्यूं क़सम लूं क़सम के क्या मअनी
- सख़ी लख़नवी


ओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना 
रातें हुई अंधेरी तुम चांद बनके आना 
- साग़र निज़ामी

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