आज मनाई जाएगी काल भैरव की जयंती, शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में भगवान भैरव को देवो के देव महादेव का अवतार माना गया है. भगवान भैरव का महादेव अवतार साधकों को सिद्धियां भी प्रदान करता है.भगवान भैरव के 52 रूप है. हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती हैं.इस साल काल भैरव जयंती 22 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती हैं .

काल भैरव की उत्पत्ति 
हिंदू धर्म में पौराणिक कथा के मुताबिक, जब ब्रह्मा-विष्णु में बहस छिड़ी की श्रेष्ठ देवता कौन हैं तो समस्त ऋषि, मुनि और वेदों ने भगवान शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया था . तब ब्रह्मा जी ने इस बात को स्वीकार नहीं किया था . तब शिव जी के शरीर से एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ था . शिव जी ने ब्रह्मा-विष्णु जी से कहा कि , इस स्तंभ का ओर या छोर जो पता लगा लेगा वही बड़ा देवता होगा. ब्रह्मा जी ऊपर की तरफ चले तो विष्णु जी नीचे की ओर चल दिए. काफी संघर्ष के बाद विष्णु जी ने तो शिव जी को श्रेष्ठ मान लिया, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्हें छोर मिल गया.तब भगवान शिव ने उन्हें झूठा करार दिया, तब ब्रह्मा जी क्रोध में आकर भोलेनाथ का अपमान करने लगे. इस दौरान शिव के अंश से एक विकराल गण की उत्पत्ति हुई, जिसे काल भैरव कहा गया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का 5वां सिर धड़ से अलग कर दिया, जो अपमानजनक बातें कर रहा था. तांत्रिक पूजा में काल भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है. अघोरी-तंत्र साधना करने वाले सिद्धियां प्राप्त करने के लिए काल भैरव को पूजते हैं.

काल भैरव जयंती 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर 2024  को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम 7 बजकर 56 मिनट पर होगा. काल भैरव जी की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 54 मिनट से सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. अभिजीत मूहूर्त सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. वहीं अमृत काल दोपहर 3 बजकर 27 मिनट से शाम 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

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