भुज बसपोर्ट की कड़वी सच्चाई- आधुनिकता के नाम पर अव्यवस्था का आलम

कच्छ : भुज के तथाकथित आधुनिक बसपोर्ट की तस्वीरें एक कड़वी सच्चाई बयां कर रही हैं. जिस बसपोर्ट को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होने का दावा किया गया था, वह आज अपनी ही खामियों की पोल खोल रहा है. यहाँ एक यात्री टूटे हुए बेंच पर आराम से सोया हुआ है, मानो यह टूटी-फूटी व्यवस्था ही उसके लिए सबसे आरामदायक हो. उसका सामान भी बगल में बेफिक्र पड़ा है, जो सुरक्षा नहीं, बल्कि शायद व्यवस्था के अभाव का संकेत है.
उद्घाटन के एक साल में ही बदहाली आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री के सपनों का यह प्रोजेक्ट, जिसका उद्घाटन धूमधाम से हुआ था, वह एक साल के भीतर ही अपनी बदहाली दिखा रहा है. बेंचों का टूटना, प्रशासन की लापरवाही और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी को उजागर करता है.
चीनी गानों का शोर और सूचना का अभाव टूटे हुए बेंचों के अलावा, यात्री अत्यधिक शोर से भी परेशान हैं. बसपोर्ट के लाउडस्पीकरों पर चीनी भाषा में बजने वाले गाने संवाद को असंभव बना रहे हैं, जिससे यात्रियों तक आवश्यक जानकारी पहुंचाने में भी मुश्किल हो रही है. लोगों की अपेक्षा है कि अगर इन लाउडस्पीकरों का उपयोग सरकारी योजनाओं की जानकारी और आवश्यक घोषणाओं के लिए किया जाए, तो यह अधिक सार्थक साबित होगा.
भुज का यह आधुनिक बसपोर्ट, जो यात्रियों के लिए सुविधा का केंद्र होना चाहिए था, आज असुविधा का गढ़ बन गया है. प्रशासन को इन गंभीर मामलों पर तत्काल ध्यान देने और सुधारात्मक कदम उठाने की सख्त जरूरत है.

रिपोर्टर : प्रकाश

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