कश्मीर पर अमित शाह का बड़ा खुलासा

कश्मीर... एक रहस्यमयी भूमि, जो हमेशा से इतिहासकारों, कवियों और शासकों की नज़रों में रही है। यह वो भूमि है जो अपनी सुंदरता के साथ-साथ, अनगिनत कहानियों और शौर्य की गाथाओं से भी भरी पड़ी है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि कश्मीर का असली इतिहास क्या है? क्या वह वही इतिहास है, जो हमें सिखाया गया था? या फिर कुछ और? आज हम आपको ले चलते हैं कश्मीर की उन गुप्त परतों में, जहां छुपा है एक रोमांचक और दिलचस्प इतिहास, जो आप कभी नहीं जानते थे। और जिसका खुलासा गृह मंत्री अमित शाह ने करके हैरान कर दिया है .... 

कश्मीर के इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत होती है 1747 में, जब कश्मीर में एक मुस्लिम सूफी संत और इतिहासकार ख्वाजा मोहम्मद आजम दीदामरी ने फारसी में 'वाकयात-ए-कश्मीर' नाम से एक मनगढ़ंत किताब लिखी। उसने जानबूझकर कश्मीर के कश्यप ऋषि को काशिफ बता डाला। इतिहास से छेड़छाड़ करते हुए उसने लिखा कि एक राक्षस ने पूरे कश्मीर को पानी में डुबा दिया, मगर काशिफ ने बचा लिया।यही इतिहास हमेशा से बताया गया मगर अमित शाह ने हाल ही में इस इतिहास की पोल खोल दी . हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक किताब के विमोचन के दौरान कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा होगा। अब वक्त आ गया है कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास को मुक्ति का वक्त आ गया है।

ऐसे में क्या आप जानते हैं कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि से क्यों जुड़ा है? इसका उत्तर बहुत दिलचस्प है। डॉ. दानपाल सिंह के अनुसार, कश्मीर शब्द संस्कृत से लिया गया है, और इसका मतलब है 'कश्यप ऋषि की भूमि'। कश्यप ऋषि के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने देवी सती की झील में जलोद्भव नामक राक्षस का वध किया और कश्मीर को उसकी विनाशकारी बाढ़ से बचाया। और यही कारण है कि कश्मीर को कश्यप मार यानी कश्मीर के नाम से जाना गया।

लेकिन कश्मीर का इतिहास इससे कहीं ज्यादा रोमांचक है! क्या आपको यह पता है कि कश्मीर के सम्राट ललितादित्य ने जब अरबों के हमलों से बचने के लिए चीन से मदद मांगी थी? ये एक अद्भुत कहानी है! उस समय अरबों के हमले कश्मीर के लिए एक बुरे सपने से कम नहीं थे। सम्राट ललितादित्य ने चीन के सम्राट से मदद की गुहार लगाई थी। और जब महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार हमला किया, तो वह कश्मीर को कभी नहीं जीत सका! कश्मीर के पहाड़ों और किलों ने उसकी सेनाओं को बार-बार नाकाम किया।

वहीं आपके मन में ये भी सवाल उठ रहा होगा कि अगर कश्मीर का नाम एक श्रषि के नाम पर पड़ा तो  कश्मीर में इस्लाम का प्रवेश कैसे हुआ? ये भी जानना दिलचस्प है - यह कहानी एक सूफी संत बुलबुल शाह की है, जिन्होंने तुर्किस्तान से कश्मीर में आकर इस्लाम का प्रचार किया। बुलबुल शाह के प्रभाव से कश्मीर के राजा रिंचन ने इस्लाम अपनाया और कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक बन गया। यही वह मोड़ था, जब कश्मीर के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

कश्मीर का इतिहास सिर्फ युद्धों और संघर्षों की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्षों, संस्कृति, और सभ्यता के अद्भुत मेल का प्रतीक है। यह वह भूमि है, जिसने न केवल शासकों को परखा, बल्कि अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए लड़े हुए वीरों को भी गले लगाया। कश्मीर का असली इतिहास, आज तक किसी ने जानने की कोशिश नहीं की थी, क्योंकि यह इतिहास शासकों के हितों को नष्ट कर सकता था। लेकिन अब वह समय आ गया है जब कश्मीर का असली इतिहास दुनिया के सामने आएगा। जो इतिहास हमने अब तक सुना, वह केवल मिथक था—कश्मीर के संघर्ष, उसकी संस्कृति और उसकी अस्मिता को दबाने के लिए गढ़ा गया था। अब समय है कश्मीर के असली इतिहास को समझने की, और उस पर गर्व करने का!

 

 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.