Katra Ropeway Project पर लोगों को ऐतराज क्यों ?
जम्मू-कश्मीर के कटरा और सांझीछत के बीच बनने वाला 300 करोड़ रुपये का रोपवे प्रोजेक्ट इन दिनों हर तरफ चर्चा में है। यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक साधारण विकास योजना नहीं है, बल्कि अब यह राजनीति और समाज का भी हिस्सा बन चुका है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी – सभी पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हो गई हैं ..दरसल
- कटरा हर रोज 35,000 से 40,000 तीर्थयात्रियों की मेजबानी करता है
- यहां 672 होटल, कई दुकानें और रेस्तरां हैं
- खच्चर, पिट्ठू और पालकी वाले अपनी सेवाएं यहीं से देते हैं
- घोड़े पर सफ़र करने पर प्रति व्यक्ति 300-500 रुपये तक देने पड़ते हैं
- पिट्ठु, और पालकी का किराया भी कभी कभी दोगुना हो जाता है
- चढ़ाई मार्ग में अगर रोपवे बन गया , तो इन लोगों के काम पर असर पड़ेगा
यहां के घोड़ेवाले, खच्चरवाले, पिट्ठू वाले और पालकी वाले अपनी सेवाएं देते हैं। इन सभी का कहना है कि रोपवे बनने से उनका काम खत्म हो जाएगा .. रोपवे आने से लोग घोड़े या खच्चर का इस्तेमाल नहीं करेंगे, जिससे इनकी रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। विरोध इतना बढ़ा कि पूरे इलाके में हड़ताल शुरू हो गई और लोग तनाव में आ गए.... कड़ी हड़ताल के बाद आखिरकार फिलहाल इस काम को रोका गया है .. अब ये तो रही हड़ताल और विरोध की बात ...लेकिन ये रोपवे कैसे लोगों के काम आ सकता है ..ये बताते हैं -
दरसल इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के पीछे श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का उद्देश्य तीर्थयात्रियों को राहत देना था। रोपवे बनने के बाद भक्त केवल 8 मिनट में ताराकोट से सांझीछत पहुंच जाएंगे। इसके बाद, उन्हें सिर्फ 2 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होगी। इससे बुजुर्गों और दिव्यांगों को खास मदद मिलेगी, क्योंकि पहले की तुलना में यात्रा बहुत आसान हो जाएगी।कैसे ये समझिए -
केबल कार रोपवे प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद भक्त ताराकोट से सांझीछत सिर्फ 8 मिनट में पहुंच जाएंगे
माता के दरबार तक पहुंचने के लिए सिर्फ दो किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ेगी
इस प्रोजेक्ट से दिव्यांगों और बुर्जुगों को बहुत लाभ मिलता
मगर दिक्कत ये है कि स्थानीय लोगों का ये प्रोजेक्ट राजनीतिक मोर्चे पर भी हलचल मचा चुका है। बीजेपी के स्थानीय नेता खुद इस प्रोजेक्ट के खिलाफ खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि इससे कटरा के 1000 से ज्यादा स्थानीय लोग बेरोजगार हो सकते हैं। विरोध इतना बढ़ा कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा और हड़ताल समाप्त करानी पड़ी।यहां तक कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जो श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। लेकिन स्थानीय लोग इसे अपने लिए अभिशाप मानते हैं।
मगर यह मामला हमें यह सवाल पूछने पर मजबूर करता है: क्या हम सिर्फ इस डर से किसी नई तकनीक को रोक सकते हैं ..क्या व्यापारियों की समस्याओं को कोई समाधान नगीं निकाला जा सकता .. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि रोपवे और घोड़ा खच्चर के व्यापार में खास कोई अंतर ना आए ...अब देखा जाए तो विकास के रास्ते में हमेशा कुछ लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन क्या हम इस डर से विकास को रोक सकते हैं? ये बड़ा सवाल है .. जिसपर सभी को सोचना चाहिए .
No Previous Comments found.