क्यों निकाली जाती हैं कांवड़ यात्रा और क्या हैं इतिहास , जाने...

सावन का महिना शुरु होने वाला हैं. इस महीने में अपने लोगों को कांवड़ ले जाते जरुर देखा होगा. आप भी कांवड़ यात्रा में शामिल हुए होंगे. लेकिन क्या कभी अपने ये सोचा हैं की कांवड़ ले जाने के पीछे वजह क्या हैं. और क्यों निकाली जाती हैं कांवड़ यात्रा. तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएँगे....

सावन भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह के जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, पूजा, मंत्र जाप, दान, धार्मिक अनुष्ठान आदि कई तरह के जतन करते हैं. इन्हीं में से एक है कांवड़ यात्रा, जिसमें महादेव के भक्त मीलों पैदल चलकर गंगा किनारे जाते हैं और कांवड़ में जल भरकर लाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो कांवड़ यात्रा का हिन्दू धर्म में खासा महत्व है.. आइए जानते हैं कावंड़ यात्रा 2024 में कब शुरू हो रही है, इसका क्या महत्व, लाभ है.

कांवड़ का अर्थ..
कांवड़ का मूल्य शब्द " कावर " हैं जिसका मतलब सीधा कंधे से हैं. शिव भक्त अपने कंधे पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए गंगा नदी तक जाते हैं. ज्यादातर कांवड़िए इस दौरान गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं. 

इतिहास..
हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान परशुराम जो भगवान शिव के एक महान भक्त के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने पहली बार इस कांवड़ यात्रा को श्रावण महीने के दौरान किया था. तभी से कांवड़ यात्रा निकाली जा रही है. हालांकि कावंड़ यात्रा की शुरुआत किसने की इसको लेकर कई मत है.

कांवड़ यात्रा कब शुरु होगी..
कांवड़ यात्रा शुरू - 22 जुलाई 2024
कांवड यात्रा जलाभिषेक की तारीख - 2 अगस्त 2024

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