कृषि विभाग ने कातरा कीट नियंत्रण के लिए दिए जरूरी निर्देश

खरीफ सीजन में किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनकर सामने आया है कातरा कीट (Shoot Borer Pest) का प्रकोप। यह कीट मुख्य रूप से मक्का, कपास, सोयाबीन, बाजरा और कपास जैसी फसलों को प्रभावित करता है, जिससे फसलों की पैदावार में भारी नुकसान होता है।
हाल ही में कृषि विभाग ने कई क्षेत्रों में कातरा कीट के बढ़ते प्रकोप की जानकारी दी है और किसानों को सतर्क रहने तथा फसलों को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की सलाह जारी की है।
कातरा कीट का प्रभाव
कातरा कीट के लार्वा पौधों की कोपलों और तनों के अंदर घुसकर उनसे पोषण ग्रहण करते हैं, जिससे पौधा कमजोर पड़ जाता है। इससे फसल की वृद्धि रुक जाती है और कई बार पौधा सूख भी सकता है। यदि इसका नियंत्रण समय पर न किया जाए तो पूरी फसल खराब हो सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
नियंत्रण के उपाय: कृषि विभाग की सलाह
कृषि विभाग ने कातरा कीट के प्रकोप को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किसानों को सुझाए हैं:
नियमित निरीक्षण करें: खेतों में कातरा कीट के लार्वा या कीड़े दिखते ही तुरंत पहचान कर नियंत्रण शुरू करें।
मिट्टी की सफाई: फसल कटाई के बाद खेत की साफ-सफाई करें और पुराने पौधों के अवशेष को जलाकर नष्ट करें, जिससे कीटों का प्रजनन कम हो।
कीटनाशकों का प्रयोग: कृषि विभाग द्वारा अनुमोदित और पर्यावरण अनुकूल कीटनाशकों का उचित मात्रा में उपयोग करें।
जैविक नियंत्रण: नीम के तेल या बायो-पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल करें, जो कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
फसल चक्रण: फसलों की समय-समय पर रोटेशन करें ताकि कीटों का प्रभाव कम हो।
सही समय पर बुवाई: बुवाई का सही समय सुनिश्चित करें ताकि फसल कम प्रभावित हो।
किसानों के लिए संदेश
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कातरा कीट के प्रकोप को रोकने के लिए किसानों को समय-समय पर अपनी फसलों का निरीक्षण करना अत्यंत आवश्यक है। यदि किसी क्षेत्र में प्रकोप ज्यादा हो, तो स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क कर मार्गदर्शन लेना चाहिए।
साथ ही, जैविक और रासायनिक नियंत्रण के संयोजन से फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है और नुकसान को कम किया जा सकता है।
कातरा कीट का समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो यह खरीफ फसलों की पैदावार को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए किसानों को कृषि विभाग की सलाहों का पालन करते हुए सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है, जिससे फसल सुरक्षित रहे और अच्छा उत्पादन हो।
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