देश में शीर्ष पदों पर आसीन महिलाएं से प्रेरणा लेने की जरूरत अल्ताफ खाना। "चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो" अभियान की जोरदार शुरुआत

खूंटी : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बाल कल्याण संघ ओर जिला बाल संरक्षण इकाई के सयुक्त तत्वधान में "महिला सशक्तिकरण उत्सव" का आयोजन किया गया, जिसमें मुरहू प्रखंड की सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया। इस विशेष अवसर पर माहवारी के समय स्वच्छता जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए "चुप्पी तोड़ो" अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान समाज में व्याप्त मिथकों को दूर करने और महिलाओं व किशोरियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्री अल्ताफ खान ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और बाल संरक्षण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब महिलाएं सुरक्षित, शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगी, तो बच्चों की सुरक्षा भी स्वाभाविक रूप से सुनिश्चित होगी। उन्होंने महिलाओं को समान अवसर देने, शिक्षा और अन्य माध्यम से सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने कहा कि देश की महिलाएं आज शीर्ष पदों पर आसीन होकर समाज को नई दिशा दिखा रही हैं। सरकार द्वारा महिलाओं और बच्चों के के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाकर उन्हें अपने अधिकारों के प्रति और अधिक सजग होने की आवश्यकता है। बाल कल्याण संघ के निदेशक श्री संजय मिश्र ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी माहवारी को लेकर शर्म और चुप्पी का माहौल है, जिससे किशोरियों को न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने घोषणा की कि "चुप्पी तोड़ो" अभियान के तहत गांव-गांव जाकर माहवारी से जुड़े मिथकों को तोड़ने और स्वच्छता को बढ़ावा देने का कार्य किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य किशोरियों को आत्मविश्वास से भरपूर बनाना और उन्हें बिना किसी झिझक के अपने स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बातचीत करने के लिए प्रेरित करना है। इस अवसर पर महिलाओं और किशोरियों को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन वितरित किए गए और उन्हें सैनिटरी नैपकिन के सही उपयोग, स्वच्छता के महत्व और इससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी गईं। बाल कल्याण संघ जिला बाल संरक्षण इकाई खूंटी के मार्गदर्शन में पूरे जिले में किशोरियों और उनकी समस्याओं को लेकर मार्च 2025 से लगातार व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगा। इस अभियान के तहत माहवारी से जुड़े मिथकों को समाप्त करने और इस विषय पर चर्चा को सहज बनाने पर विशेष जोर दिया जाएगा। कार्यक्रम में डायन प्रथा के उन्मूलन पर भी चर्चा की गई। झारखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, मानसिक स्थिति और कभी-कभी जीवन तक खतरे में पड़ जाता है। डायन प्रथा केवल एक अंधविश्वास नहीं, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक गंभीर रूप है। बाल कल्याण संघ ने इस अवसर पर ग्राम स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने और पंचायतों को इस कुप्रथा के विरुद्ध सक्रिय करने की प्रतिबद्धता जताई। डायन प्रथा से जुड़े झूठे आरोपों का सामना करने के लिए महिलाएं कानून का सहारा लें और संगठित होकर इस कुरीति के खिलाफ आवाज उठाएं। साथ ही पंचायती राज में महिलाओं की भागीदारी पर जोर देते हुए श्री मिश्रा ने कहा महिला सशक्तिकरण की दिशा में पंचायती राज में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया। सरकार द्वारा महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किया गया है जिससे वे अब ग्राम पंचायतों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो सकती हैं। लेकिन अब भी कई महिलाएं सामाजिक दबाव, परिवारिक पाबंदियों और जागरूकता की कमी के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया में पीछे रह जाती हैं । बाल कल्याण संघ ने महिलाओं से सक्रिय राजनीति में भाग लेने, ग्राम सभा की बैठकों में अपनी आवाज उठाने और पंचायती राज संस्थाओं में अपनी भूमिका को प्रभावी बनाने का आग्रह करता है। जब महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रिया में आगे आएंगी, तो बाल संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों का समाधान और भी प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा। इस कार्यक्रम में बाल कल्याण संघ के श्री ओम प्रकाश तिवारी, श्री अंजनेय रॉय समेत सैकड़ों महिलाओं और किशोरियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया ।
रिपोर्टर : शहीद अंसारी
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