आज दिनाँक ०९-०६-२०२५ दिन सोमवार को खूँटी जिला में कचहरी मैदान के समीप बिरसा पार्क में,

खूंटी : झारखण्ड मुक्ति मोर्चा पुर्व क्रीड़ा मोर्चा सचिव प्रकाश नाग मुण्डा, पुर्व खूँटी प्रखण्ड अध्यक्ष शंकर सिंह मुण्डा के अध्यक्षता में, धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा जी की १२५ वी शहादत दिवस मनाया गया। बिरसा मुंडा जी एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान १९वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और धरती आबा नाम से भी जाना जाता है। १९वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने लगे। हालाँकि आदिवासी विद्रोह करते थें, लेकिन संख्या बल में कम होने एवं आधुनिक हथियारों की अनुपलब्धता के कारण उनके विद्रोह को कुछ ही दिनों में दबा दिया जाता था। यह सब देखकर बिरसा मुंडा विचलित हो गए, और अंततः १८९५ में अंग्रेजों की लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी। यह मात्र विद्रोह नहीं था। यह आदिवासी अस्मिता, स्वायतत्ता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था। पिछले सभी विद्रोह से सीखते हुए, बिरसा मुंडा ने पहले सभी आदिवासियों को संगठित किया फिर छेड़ दिया अंग्रेजों के ख़िलाफ़ महाविद्रोह 'उलगुलान'। इसमें मुख्य रूप से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा पुर्व महिला मोर्चा ज़िला उपाध्यक्ष असगरी खातुन, अर्चना नाग, पुर्व क्रीड़ा मोर्चा ज़िला सचिव प्रकाश नाग, पुर्व खूँटी प्रखण्ड अध्यक्ष शंकर सिंह मुण्डा, पुर्व उपाध्यक्ष तौसिफ अंसारी, सदस्य विमल पहान, पुर्व अल्पसंख्यक मोर्चा शमीम, सदस्य मो॰ शमीम अंसारी आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
रिपोर्टर : शहीद अंसारी
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