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बिरसा कॉलेज खूंटी में शहादत दिवस मनाया गया

खूंटी : कार्यक्रम की शुरुआत प्रभारी प्राचार्या जे. कीड़ों ने भगवान बिरसा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई।इस अवसर पर संगोष्ठी का भी कार्यक्रम किया गया। प्रभारी प्राचार्या ने भगवान बिरसा के मूल्यों को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह मूल्य ही हैं जो आपके जीवन की दिशा को निर्धारित करते हैं। बिरसा मुंडा ने अपने शुरुआती जीवन में ही लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। उस लक्ष्य से कभी भी वह पथभ्रष्ट नहीं हुए उन्होंने न केवल आदिवासी जनजीवन और संस्कृति को बचाए रखने की शुरुआत की बल्कि सार्वभौमिक स्तर पर समाज के नवनिर्माण की एक नई पृष्ठभूमि भी रची। जिसमें विदेशी आक्रांताओं से बचने की चेष्टा थी और साथ  अपनी संस्कृति को बचाए रखने का प्रयास भी थी। कार्यक्रम में इतिहास के प्रोफेसर डॉ अभिषेक कुमार ने बिरसा मुंडा के ऐतिहासिक उल्लेखों का जिक्र किया।उन्होंने बताया 1940 के कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार बिरसा द्वार नामकरण कर उन्हें इतिहास में महत्व देने का प्रयास किया गया।इस बीच किसी सरकारी भवन का पहली बार भगवान बिरसा के नाम पर बिरसा कॉलेज खूंटी का नामकरण जान पड़ता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ सुधांशु शर्मा ने बताया कि भगवान बिरसा को केवल स्वतंत्रता आंदोलनकारी के रूप में देखना उनके एक पक्ष को देखना है।सामाजिक सुधारक के रूप में उनका व्यक्तित्व संसार के बड़े सुधारकों में से  एक है। श्री राजकुमार गुप्ता ने भगवान बिरसा के नैतिक मूल्यों को अपनाने की बात कही और खूंटी में जन्म होना सौभाग्य की बात कही।उन्होंने खूंटी क्षेत्र में भगवान बिरसा के प्रचलित गाथाओं का भी जिक्र किया। इस अवसर पर डॉ काली मुंडू, डॉ सुशील रंजन, डॉ रेशमा, डॉ संध्या, डॉ प्रियंका, डॉ अंजुलता  सहित विद्यार्थी खुशबू राज,विष्णु गुप्ता,तमन्ना ने भी अपने विचार रखे।ग्रीष्मकालीन अवकाश के बावजूद इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों की भारी संख्या मौजूद थी।

रिपोर्टर : शहीद अंसारी

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