ज्ञान कुंज इंटरनेशनल स्कूल में छठ महापर्व पर सांस्कृतिक झांकी का मनमोहक प्रदर्शन.
हजारीबाग : रानीक मोड़ स्थित ज्ञान कुंज इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को छात्रों द्वारा छठ महापर्व पर आधारित आकर्षक सांस्कृतिक झांकी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चों ने नृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से भारत की सभ्यता, संस्कृति और इस महान पर्व की पवित्रता को जीवंत रूप में दर्शाया।विद्यालय के उप-प्रधानाचार्य नंदकिशोर कुमार के निर्देशन में आयोजित इस झांकी का उद्देश्य बच्चों को भारतीय परंपराओं और आस्था के मूल से जोड़ना था। कार्यक्रम के दौरान विद्यालय परिसर को छठ घाट की झांकी के रूप में सजाया गया था, जहाँ रंगोली, फूलों, केले के पत्तों और दीपों की सजावट ने पूरे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।झांकी के माध्यम से बच्चों ने यह संदेश दिया कि छठ महापर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के सामंजस्य का प्रतीक है। प्रस्तुति में विद्यार्थियों ने पारंपरिक छठ गीत — “कांच ही बांस के बहंगिया” और “उठो सूर्य देव भोर भइल बानी” पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।
विद्यालय के एम.डी. प्रमोद कुमार सिंह, अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह और सचिव सर्वजीत कुमार सिंह ने फोन के माध्यम से शुभकामनाएँ भेजते हुए कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों में सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता की भावना को सुदृढ़ करते हैं।
झांकी की तैयारी में विद्यालय के शिक्षक शुभम कुमार, संगीत कुमार, मानसी मोदी, शीला दास, मेहविश अशरफ, तथा रिसेप्शनिस्ट प्रियंका कुमारी के साथ-साथ गैर-शिक्षण कर्मियों प्रकाश यादव, नागो साव, सुमित्रा देवी, काजल देवी आदि का योगदान सराहनीय रहा।
बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों से यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि यह संस्कृति, संस्कार और श्रद्धा का संगम है। उप-प्रधानाचार्य नंदकिशोर कुमार ने समापन भाषण में कहा कि, “छठ पर्व प्रकृति और मानव के संबंध का प्रतीक है, यह हमें सिखाता है कि जब हम प्रकृति का सम्मान करेंगे, तभी वह हमें जीवनदायिनी ऊर्जा देगी।”कार्यक्रम का समापन सामूहिक छठ गीत और तालियों की गूंज के साथ हुआ। बच्चों और शिक्षकों के चेहरों पर प्रसन्नता और गर्व झलक रहा था कि वे ऐसे विद्यालय से जुड़े हैं जो शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति के संरक्षण का दायित्व निभा रहा है।
रिपोर्टर : अमित सिंह
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