सड़क दुर्घटनाओं का अविश्वसनीय और गंभीर आंकड़ा सामने आया है एक वर्ष में 160 दुर्घटनाएँ और 158 मौतें।

खूंटी : लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण कफन की बिक्री, कब्रिस्तान और श्मशानों में होने वाली गतिविधियों में आई बढ़ोतरी मानव जीवन की भयावह स्थिति को दर्शाती है। उप प्रमुख मुरहू अरुण कुमार साबू ने कहा कि यह स्थिति केवल मुआवज़ा देने से नहीं सुधरेगी, बल्कि दुर्घटना रोकने के ठोस कदम तत्काल उठाने होंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि:

परिवहन विभाग और राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी
परिवहन विभाग द्वारा राजस्व वसूली के नाम पर
मनमानी समय-सारणी
मनमाना मार्ग
बिना सर्वे किए परमिट जारी किए जा रहे हैं
इससे बस मालिकों के बीच खतरनाक प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही है, जो सीधे-सीधे सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार है।
उप प्रमुख ने कहा:
> “जब परिवहन विभाग अनियंत्रित और असंगत समय-सारणी बनाता है, तब बस मालिक तेज़ी से सवारियाँ उठाने की प्रतिस्पर्धा में उतर जाते हैं और उसी का परिणाम है कि खूंटी जैसी शांत जगह पर मौतों का सिलसिला टूटने का नाम नहीं ले रहा है।”
सुरक्षा समिति और परिवहन विभाग में बड़ा विरोधाभास
एक तरफ राज्य की सड़क सुरक्षा समिति करोड़ों रुपये खर्च कर सड़क सुरक्षा को मजबूत करने की बात करती है,
लेकिन दूसरी तरफ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (RTA) और राज्य परिवहन प्राधिकार (STA)—
बिना सुरक्षा मानकों की समीक्षा,
बिना सड़क सर्वेक्षण,
बिना उचित अंतराल तय किए,
परमिट जारी कर रहे हैं।
भारी वाहन अधिनियम का उल्लंघन
भारी वाहन अधिनियम के अनुसार:
परमिट जारी करते समय जन-सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए
बसों के बीच सुरक्षित अंतराल अनिवार्य है
भीड़भाड़ वाले मार्गों का सर्वे और सुरक्षा मानक तय होना चाहिए
परंतु परिवहन विभाग इन मानकों का पालन नहीं कर रहा है।

उप प्रमुख की मांग

1. सभी परमिट और समय-सारणी की तत्काल समीक्षा
2. प्रत्येक मार्ग पर सुरक्षित समय अंतराल निर्धारित हो
3. मार्ग का भौतिक सर्वेक्षण अनिवार्य किया जाए
4. दुर्घटना वाले मार्गों पर बसों की संख्या नियंत्रित की जाए
5 विभाग को निर्देशित किया जाए कि
> राजस्व नहीं, बल्कि जनता की जान सर्वोपरि है
उप प्रमुख ने कहा:
> “जनता सड़क पर अपनी जान जोखिम में डालकर सफर नहीं करती। सरकार और परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है कि ऐसी नीतियाँ बनें जिससे दुर्घटनाएँ कम हों, न कि बस मालिकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़े। केवल मुआवज़ा नहीं दुर्घटनाएँ रोकने की ठोस कार्ययोजना चाहिए।”

रिपोर्टर : शहीद अंसारी 

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