लेफ्टिनेंट किरण शेखावत: "ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाली पहली महिला नौसेना अधिकारी की अमर गाथा
लेफ्टिनेंट किरण शेखावत (1 मई 1988 – 24 मार्च 2015) भारतीय नौसेना की वह साहसी महिला अधिकारी थीं जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। वे भारतीय नौसेना की प्रथम महिला शहीद बनीं, जिनकी शहादत ने राष्ट्र को गौरवान्वित किया और महिला सैन्य अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।
प्रारंभिक जीवन
किरण शेखावत का जन्म 1 मई 1988 को मुंबई में एक राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता विजेंद्र सिंह शेखावत और माता मधु चौहान राजस्थान के झुंझुनू जिले की खेतरी तहसील के सेफरगुवार गाँव से संबंध रखते थे।
उन्होंने अपनी शिक्षा विशाखापत्तनम के केंद्रीय विद्यालय-II से प्राप्त की और उसके बाद आंध्र विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक किया। कुछ समय एक निजी बैंक में कार्य करने के बाद, वर्ष 2010 में उन्होंने भारतीय नौसेना अकादमी (INA), एझिमाला, केरल में प्रवेश लिया।
किरण ने अपने सहकर्मी नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विवेक सिंह छोकर से विवाह किया, जिनका परिवार हरियाणा के नूह जिले के कुर्थला गाँव में रहता है।
नौसेना करियर
लेफ्टिनेंट किरण शेखावत को 5 जुलाई 2010 को भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन INAS 310 (कोबरा स्क्वाड्रन) में कमीशन मिला, जो नौसेना की प्रमुख खुफिया युद्ध यूनिट है। पांच वर्षों की सेवा में उन्होंने विभिन्न नौसेना स्टेशनों पर तैनाती के साथ कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया।
एक ऑब्जर्वर (Observer) के रूप में वे खुफिया विश्लेषण, पर्यावरणीय पैरामीटर रिकॉर्डिंग, और सामरिक मिशनों में योगदान देती थीं। जनवरी 2015 में, उन्होंने गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना की पहली महिला परेड टुकड़ी का हिस्सा बनकर इतिहास रचा।
उनके पिता भी नौसेना से मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, और बाद में उनकी स्मृति में "लेफ्टिनेंट किरण शेखावत फाउंडेशन" नामक संस्था की स्थापना की गई।
दुर्घटना और शहादत
24 मार्च 2015 की रात, भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान गोवा तट के पास समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान कमांडर निखिल जोशी, सह-पायलट लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी और ऑब्जर्वर लेफ्टिनेंट किरण शेखावत द्वारा संचालित किया जा रहा था।
किरण एक लड़ाकू पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रही थीं, जो समुद्री सीमाओं पर शत्रु गतिविधियों की निगरानी और सामरिक जानकारी एकत्रित करने से संबंधित थी।
दुर्घटना के दो दिन बाद किरण का शरीर विमान के धड़ के अंदर पाया गया। सह-पायलट लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी का शव भी मिला, जबकि पायलट कमांडर निखिल जोशी को एक मछुआरे ने बचा लिया।
आईएनएस मकर नामक नौसेना जलवैज्ञानिक पोत ने साइड-स्कैन सोनार की मदद से लगभग 60 मीटर गहराई में विमान के मलबे का पता लगाया।
विरासत और सम्मान
लेफ्टिनेंट किरण शेखावत की स्मृति में कई पहलें और स्मारक स्थापित किए गए हैं—
हरियाणा के नूह जिले के कुर्थला में 2 एकड़ भूमि पर शहीद पार्क विकसित किया गया है।
इसी पार्क में किरण शेखावत की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है।
चेचेरा और बिघावली गाँव के बीच 7.5 किलोमीटर लंबी सड़क को उनके नाम पर रखा गया है।
मार्च 2016 में उनके परिवार ने लेफ्टिनेंट किरण शेखावत फाउंडेशन की स्थापना की, जो समाज के कमजोर वर्गों के लिए कार्य करता है और युवाओं को प्रेरित करने वाले कार्यक्रम आयोजित करता है।
लेफ्टिनेंट किरण शेखावत का जीवन साहस, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने न केवल भारतीय नौसेना में महिलाओं की मौजूदगी को नई दिशा दी, बल्कि अपनी शहादत से यह सिद्ध किया कि देश सेवा में समर्पित मन और दृढ़ इच्छाशक्ति किसी भी सीमा को नहीं मानती।
उनकी कहानी सदैव भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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