एक बार फिर किसानों का महाआंदोलन !


भारत का किसान किस प्रकार का आदोंलन कर सकता है ये देश का हर नागरिक जानता है , क्यूंकि साल 2020 में किसानों के उग्र आंदोलन ने देश भर में भूचाल ला दिया था , लेकिन एक बार फिर से किसान आंदोलन करने बैठ गए . दरसल 60 दिन से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ धरना दे रहें किसानों ने दिल्ली तक का घेराव करने की बात कह दी . और किसानों की इस चेतावनी से आज दिल्ली के चप्पे चप्पे पर पुलिस को तैनात कर दिया गया है . बता दें                यूपी से लेकर दिल्ली तक घेराव और प्रदर्शन करने जा रहें किसानों को प्रशासन ने नोएडा पर ही रोक लिया यहां तक कि किसानों ने ये तय किया था कि वो जंतर मंतर पर धरना देंगे साथ ही संसद भवन का घेराव करेंगे जिनकों देखते हुए दिल्ली भर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए है . सभी बॉर्डर और चौक पर पुलिस की बैरिकेडिंग है .. 


60 दिन से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ धरना दे रहें किसानों ने आज दिल्ली कूच करने का ऐलान कर दिया . और एक बार फिर किसानों की हुंकार ने देश को हिल्ला कर रख दिया . नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अंसल बिल्डर के खिलाफ जय जवान जय किसान संगठन के किसान  धरना दे रहे है, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा, एनटीपीसी और नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ भारतीय किसान परिषद के तत्वावधान में धरना जारी है. इन किसानों को दिल्ली जाने से पहले ही नोएडा पर रोक लिया गया , दरसल नोएडा प्राधिकरण ने भू-अर्जन अधिनियम 1984 में वर्णित प्रविधान के मुताबिक 16 गांव की 19 अधिसूचनाओं को एक किसान की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. इस चुनौती पर उच्च न्यायालय ने किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और 10 प्रतिशत आबादी भूखंड देने का आदेश 21 अक्टूबर 2011 को दिया गया.  इस आदेश में ऐसे किसान जिनकी याचिका खारिज कर दी गई या जो न्यायालय नहीं गए, उनका निर्णय प्राधिकरण को लेने का निर्देश दिया गया. वहीं किसानों की कई मांगों को लेकर समझौता हुआ था . 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए. चाहे वह कोर्ट गए हो या नहीं. किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए. आबादी जैसी है, वैसी छोड़ी जाए.  विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 वर्ग मीटर किया जाए. भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू-लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे . उनका नियोजन किया जाए. भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारत है.  ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है. 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यावसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए. गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए. गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए.  इस वक्त किसान संगठन दिसंबर 2023 से नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत अपनी जमीनों के बदले बढ़ा हुआ मुआवजा और भूखंड देने की मांग को लेकर लगातार हुंकार भर रहें है . 

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