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इन 5 बातों का रखें ध्यान, चने की खेती से होगी बंपर पैदावार

चने की खेती एक लाभकारी रबी फसल है, जो उचित तकनीकों और देखभाल से बंपर पैदावार दे सकती है। यदि आप भी चने की खेती से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो 5 महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें...

1. उन्नत किस्म के बीज का चयन करें

उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का चयन करें, जैसे पूसा 1108, जी.सी. 2, और पूसा 547। बुवाई से पहले बीजों को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें और फिर फफूंदनाशक जैसे कार्बेन्डाजिम या थायरम से शोधन करें। 

2. खेत की तैयारी और बुवाई विधि

चने की खेती के लिए दानेदार दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। खेत की अच्छी से जुताई करें और मिट्टी को बारीक और समतल बना लें। बीजों को कतारों में बोते समय कतारों के बीच की दूरी 30-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखें। बीजों को 4-5 सेंटीमीटर गहरी बुवाई करें। 

3. उर्वरक और पोषण प्रबंधन

चने की फसल में नाइट्रोजन की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया होते हैं। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें। साल्फर और जिंक की कमी होने पर उचित मात्रा में इनका प्रयोग करें। जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम कल्चर और पी.एस.बी. कल्चर का इस्तेमाल फसल की वृद्धि और उपज को बढ़ावा देता है। 

4. सिंचाई और जल प्रबंधन

चने की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। फूल और फली बनने के समय सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें। फसल कटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। 

5. रोग और कीट प्रबंधन

चने की फसल में फंगस जैसी बीमारियां आम समस्या होती हैं। फसल में रासायनिक दवाओं का मिश्रण इस्तेमाल करें, ताकि चने के पौधों पर कोई भी प्रकार का रोग न हो और वह हरे-भरे बने रहें। इसके लिए आप कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP @ 2.5 ग्राम या ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करें। यदि आपको चने की खड़ी फसल पर फंगस यानी रोगों के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव कर दें।

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