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मौसम का बिगड़ा मिज़ाज: उत्तर भारत के किसानों के लिए चेतावनी जारी

उत्तर भारत में मौसम का मिज़ाज तेजी से बदल रहा है। कहीं तेज़ लू चल रही है तो कहीं अचानक बेमौसम बारिश ने दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार के किसानों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह मौसम बदलाव जलवायु परिवर्तन का असर है, जिसका सीधा प्रभाव फसलों पर पड़ता है। इस अनिश्चितता ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां धान की नर्सरी लग चुकी है या खरीफ फसल की बुआई शुरू होने वाली है।

किसानों के लिए चेतावनी और अलर्ट

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में 40-45°C तक तापमान पहुंच सकता है, वहीं कहीं तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ हल्की बारिश की संभावना भी जताई गई है।

यह परिस्थिति उन किसानों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो सकती है, जिनकी फसलें खेतों में तैयार खड़ी हैं या नाजुक स्टेज पर हैं।

फसल बचाने के लिए सुझाव और प्रबंधन टिप्स:

जल प्रबंधन: तेज गर्मी में खेतों में नमी बनाए रखने के लिए सुबह या शाम को हल्की सिंचाई करें।

मल्चिंग का प्रयोग: मिट्टी की सतह पर पुआल या घास डालकर नमी की कमी को रोका जा सकता है।

कीट एवं रोग नियंत्रण: अचानक मौसम बदलने से फसलों पर रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है। विशेषज्ञों से संपर्क कर समय पर दवा का छिड़काव करें।

फसल बीमा: अगर अभी तक फसल बीमा नहीं करवाया है, तो तुरंत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आवेदन करें।

मौसम ऐप्स का इस्तेमाल: ‘मेघदूत’, ‘किसान सुविधा ऐप’ जैसे मोबाइल ऐप्स से मौसम की सटीक जानकारी पाएं।

किसानों की राय

हरियाणा के करनाल जिले के किसान रामपाल सिंह का कहना है, “पहले मौसम कुछ तय होता था। अब एक दिन धूप, दूसरे दिन आंधी! हमें समझ नहीं आता कि फसल को कैसे संभालें। सरकार को और जागरूकता फैलानी चाहिए।”

सरकारी प्रयास जारी

कृषि मंत्रालय के अनुसार राज्य सरकारें कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के माध्यम से किसानों को समय-समय पर ट्रेनिंग और फील्ड विज़िट्स के जरिए मार्गदर्शन दे रही हैं। मौसम आधारित फसल सलाह प्रणाली को भी और मजबूत किया जा रहा है।

मौसम का मिज़ाज भले ही अनिश्चित हो, लेकिन सजग किसान और आधुनिक कृषि तकनीक मिलकर इससे लड़ सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जागरूकता, सही समय पर निर्णय और तकनीक का सहयोग ही इस चुनौती से निपटने का रास्ता है।

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