"पराली नहीं, कमाई का साधन!"

अगर सही तरीके से योजना बनाकर काम किया जाए, तो धान की पराली (धान की कटाई के बाद बचा फसल अवशेष) न केवल एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या से बचा सकती है, बल्कि किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त साधन भी बन सकती है। कुछ तरीके हैं जिनसे पराली का सही उपयोग करके लाभ कमाया जा सकता है:
1. बायोएनेर्जी उत्पादन
पराली से बायो-सीएनजी, बायोकोल, एथेनॉल, या बिजली बनाई जा सकती है।
सरकार कई जगह बायोमैस ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रही है, जो किसानों से पराली खरीदती है।
2. पशु चारा के रूप में उपयोग
पराली को उपयुक्त उपचार (जैसे यूरिया ट्रीटमेंट) के बाद पौष्टिक पशु चारे में बदला जा सकता है।
इससे पशुपालकों को सस्ता चारा मिलेगा और किसान अपनी पराली बेच सकेंगे।
3. कम्पोस्ट और जैविक खाद बनाना
पराली से कम्पोस्ट खाद या बायो-एंजाइम आधारित जैविक खाद बनाई जा सकती है।
इससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी और मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
4. औद्योगिक उत्पादों में उपयोग
पराली से बायो-कम्पोजिट बोर्ड, कार्डबोर्ड, पेपर, ईंटों के विकल्प जैसे उत्पाद बनाए जा सकते हैं।
कुछ स्टार्टअप्स इस दिशा में काम कर रहे हैं और किसानों से पराली खरीद रहे हैं।
5. कंबाइंड हार्वेस्टर और सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) का उपयोग
अगर किसान SMS लगवाते हैं, तो पराली खेत में ही बारीक काटकर मिट्टी में मिलाई जा सकती है।
इससे न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि पराली जलाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती।
6. सरकार की सहायता योजनाएं
Custom Hiring Centers (CHCs) के ज़रिये किसान मशीनें किराए पर ले सकते हैं।
पराली न जलाने पर सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाएं भी कई राज्यों में लागू हैं।
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