"पपीते की खेती करने वालों के लिए खुशखबरी! अब उपज होगी दोगुनी"

पपीते की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में गिनी जाती है। लेकिन कई बार किसान सही खाद प्रबंधन न कर पाने के कारण पूरी मेहनत के बावजूद कम पैदावार या कमजोर गुणवत्ता वाले फल पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर पपीते की फसल में सही समय और सही मात्रा में खादों का इस्तेमाल किया जाए, तो बंपर उत्पादन संभव है।
शुरुआती तैयारी – ज़मीन और बेसल डोज
पपीते की अच्छी उपज के लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच ज़रूरी है। इसके आधार पर ही पोषक तत्वों की सही मात्रा तय होती है। खेत की तैयारी के समय प्रत्येक गड्ढे में निम्न खादों का उपयोग करें:
गोबर की सड़ी हुई खाद – 20-25 किलो प्रति गड्ढा
वर्मी कम्पोस्ट – 2-3 किलो प्रति पौधा
नीम खली – 250 ग्राम प्रति पौधा
ट्राइकोडर्मा या पीएसबी जैव खाद – 25 ग्राम प्रति पौधा
यह खादें मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं और पौधों को शुरुआती वृद्धि में मदद करती हैं।
फसल की बढ़वार के दौरान खाद प्रबंधन
पौधारोपण के एक महीने बाद से ही फसल में पोषक तत्वों की नियमित आपूर्ति बेहद जरूरी होती है। इसके लिए निम्नलिखित रासायनिक खादों का उपयोग करें:
जैविक विकल्प और स्प्रे खाद
रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक उपायों से भी फसल की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है:
समुद्री शैवाल (Seaweed) का स्प्रे – हर 15 दिन में
बायो-पोटाश या बायो-जिंक – मिट्टी और पत्तियों के लिए
सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) जैसे बोरॉन, मैग्नीशियम – फलों के आकार और मिठास के लिए
खाद देने की विधि – ड्रिप सिंचाई के साथ सबसे प्रभावी
अगर आप ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, तो सोल्युबल खादों को पानी में घोलकर सीधे जड़ों तक पहुंचा सकते हैं। इससे खाद की बर्बादी नहीं होती और पौधे बेहतर तरीके से पोषण ले पाते हैं।
मिट्टी की जांच क्यों है ज़रूरी?
हर खेत की मिट्टी अलग होती है। इसलिए अंधाधुंध खाद डालने के बजाय पहले मिट्टी की जांच करवा कर ही पोषण योजना बनाएं। इससे लागत भी घटती है और उत्पादन भी बढ़ता है।
किसान की सलाह:
बांदा के एक प्रगतिशील किसान रामसिंह यादव बताते हैं –"मैंने पपीते में संतुलित जैविक और रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया और इस बार मुझे प्रति पौधा औसतन 40-45 किलो फल मिला है। पहले यह मात्र 25 किलो तक ही सीमित रहता था।"
अगर आप पपीते की खेती कर रहे हैं या करने की योजना बना रहे हैं, तो याद रखें — "अच्छी खेती की जड़, सही खाद प्रबंधन में छुपी होती है।" सही समय, सही मात्रा और सही प्रकार की खादों का प्रयोग कर आप न केवल उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि फलों की गुणवत्ता भी सुधार सकते हैं।
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