इस जगह की जाती है कुत्तों की पूजा...

देश भर में कई सारे तीज त्यौहार मनाये जाते हैं. ये त्यौहार किसी न किसी पौराणिक कथा से जुड़े होते हैं. जब भी किसी त्यौहार को मनाया जाता है तो उसमे अलग अलग चीजों की पूजा भी की जाती है जैसे बात करे अगर गोवर्धन पूजा की तो इसमें कई लोग गाय की पूजा करते हैं तो कई लोग गाय के गोबर से भी पूजा करते है. ऐसे ही दुनिया में तमाम तरह की पूजा और परम्पराएं हैं. लेकिन अगर मै आपसे कहूँ की एक जगह पर कुत्तों की पूजा की जाती है तो शयद आपको ये बात मजाक लग सकती है. लेकिन ये बात बिलकुल सच है. आइये जान लेते हैं इस पूजा के बारे में विस्तार से.....


क्यों मनाया जाता है कुकुर तिहार?

नेपाल में दिवाली के आसपास मनाया जाने वाला कुकुर तिहार या कुत्तों का त्योहार, दुनिया भर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. इस त्योहार में कुत्तों को देवता के रूप में पूजा जाता है और उन्हें खास सम्मान दिया जाता है.

हिंदू धर्म में कुत्तों को यमराज के दूत माना जाता है. यमराज मृत्यु के देवता हैं. मान्यता है कि कुत्ते यमराज के संदेशवाहक होते हैं और मृत आत्माओं को यमलोक तक ले जाते हैं. साथ ही कुत्ते सदियों से मनुष्य के सबसे वफादार साथी रहे हैं. वो घरों की रक्षा करते हैं और लोगों की सुरक्षा करते हैं. कुकुर तिहार में कुत्तों की इन गुणों को सम्मानित किया जाता है. इसके अलावा यह त्योहार पशुओं के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देता है. कुत्तों को भोजन, पानी और स्नान कराया जाता है और उन्हें प्यार से सहलाया जाता है.

 

क्या है मान्यता?

ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज के दूत कुत्ते होते हैं. यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी कुत्तों की पूजा की जाती है. कुकुर तिहार के दिन कुत्तों को फूलों की माला पहनाई जाती है. कुत्तों को तिलक लगाकर उनकी पूजा होती है. कुकुर तिहार के दिन उनको बढ़िया भोजन भी परोसा जाता है. 

 

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